जतिन लटावा। जोगिंद्रनगर
66 मैगावॉट की पन विद्युत परियोजना में वर्ष 1970 से यहां पर बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। ऊहल चरण दो के तहत स्थापित इस पन बिजली परियोजना में साढ़े 16 मैगावॉट की क्षमता वाले चार टरबाईन कार्य कर रहे हैं। जिनसे प्रतिदिन औसतन 15 लाख 84 हजार युनिट बिजली का उत्पादन हो रहा है।
ऊहल नदी पनविद्युत परियोजना के अंतर्गत चरण दो के तहत बस्सी पन विद्युत परियोजना की आधारशिला 17 मई, 1965 को पंजाब के तत्कालीन मुख्य मंत्री कामरेड राम किशन ने रखी थी। इस परियोजना की 15 मैगावॉट की पहली टरबाईन ने 13 अप्रैल, 1970 को विद्युत उत्पादन शुरू कर दिया था। दूसरी टरबाईन 24 दिसम्बर, 1970 तथा तीसरी टरबाईन ने 15 जुलाई 1971 को बिजली उत्पादन शुरू कर दिया। पहले इस परियोजना की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 45 मैगावॉट थी जिसे 10 जुलाई 1981 को बढ़ाकर 60 मैगावॉट कर दिया गया। इसके बाद इसमें व्यापक सुधार लाते हुए वर्ष 2010 व 2012 के बीच इसकी उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर प्रति टरबाईन 16.5 मैगावॉट की दर से 66 मैगावॉट कर दिया गया है।
वर्तमान में इस परियोजना से 66 मैगावॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है। इस परियोजना के निर्माण पर आरंभिक तौर पर लगभग साढ़े 17 करोड़ रूपये की राशि व्यय की गई है।
हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड के अंतर्गत कार्यरत बस्सी पन बिजली परियोजना के तहत प्रतिवर्ष औसतन 302 मिलियन युनिट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रहता है। परियोजना शुरू होने से लेकर अब तक सबसे अधिक बिजली उत्पादन वर्ष 1998-99 में 332 मिलियन युनिट रहा है। ऊहल पनबिजली परियोजना के अंतर्गत चरण-दो के तहत स्थापित बस्सी पॉवर हाउस ने उत्पादन शुरू करने के अपने 50 वर्ष के सफर को पूर्ण कर लिया है जो पूर्ण राज्यत्व के 50 वर्ष पूर्ण होने पर स्वर्णिम हिमाचल के लिए ये गौरवशाली पल हैं।
जोगिन्दर नगर की खूबसूरत बरोट घाटी से बहने वाली ऊहल नदी पर तत्कालीन पंजाब सरकार में अंग्रेज चीफ इंजीनियर कर्नल बीसी बैटी ने वर्ष 1922 में ऊहल नदी पर आधारित पन बिजली परियोजनाओं की परिकल्पना की थी। वर्ष 1925 में तत्कालीन मंडी रियासत के राजा जोगिन्द्रसेन व भारत सरकार के मध्य हुए समझौते के तहत पहले चरण में शानन पन बिजली परियोजना निर्मित हुई। जिसमें वर्ष 1932 से बिजली उत्पादन शुरू कर दिया था।
वर्तमान में शानन पन बिजली परियोजना से 110 मैगावॉट बिजली उत्पादन हो रहा है जो पंजाब राज्य के अधीन है। इसके बाद दूसरे चरण में बस्सी पन बिजली परियोजना की परिकल्पना की थी जिसमें भी वर्ष 1970 से बिजली उत्पादन की शुरूआत करते हुए वर्तमान में 66 मैगावॉट विद्युत उत्पादन किया जा रहा है। इसके बाद ऊहल चरण तीन के तहत जोगिन्दर नगर के लडभड़ोल क्षेत्र के तहत चुल्ला नामक गांव में 100 मैगावॉट बिजली उत्पादन प्रस्तावित है जो अभी निर्माणाधीन है।