बहिष्कार की बलि चढ़े चकमोह के बीडीसी प्रत्याशी

एसके शर्मा। हमीरपुर

ग्राम पंचायत चुनावों में बहिष्कार से विकास की गाथा लिखने चले चकमोह गांव को करारा झटका लगा है। गांव ने अपने पास से बीडीसी का पद खो दिया है, जो कि इतिहास में लंबे अरसे से इस गांव को मिलता आया है और पिछली बार तो इस गांव के बीडीसी पवन जगोता तो खंड विकास समिति के उप-चेयरमैन भी रहे गांव ने खुद अपने प्रत्याशियों को अपनी गृह पंचायत से ही भावनाओं में बहकर और कथित राजनीति के चलते वोटिंग नहीं की। चकमोह से खड़े बीडीसी प्रत्याशी अपनी गृह पंचायत के इसी बहिष्कार के चलते जीत दर्ज न कर सके।

भले ही इसमें उनका कोई दोष नहीं था, क्योंकि बहिष्कार की योजना शुरू होने से पहले ही उनको चिन्ह जारी हो चुके थे और नामांकन वापसी का भी उनके पास कोई मौका न था और वंदना कुमारी ने तो इस मामले को हल करने का काफी काम प्रदेश सरकार से करवाया भी था और प्रशासन से लिखित आश्वासन मांग रहे लोगों को चुनाव से पिछले दिन ही प्रशासन से लिखित आश्वासन भी दिलवाया था, लेकिन अंदरूनी श्रेय की राजनीति के चलते वह पत्र लोगों तक चुनाव के बाद पहुंचाया था और अनेकों लोगों को वोट न डालने की जिद्द पर ही अड़े रहने को कहा गया।

अपने ही प्रत्याशियों को हराने के लिए अंदरखाते हुई बड़ी राजनीति देखने को मिली और गांव की मुख्य आबादी से प्रति वार्ड इक्का दुक्का वोट पड़े। आखिर बीडीसी सीट हेतु चकमोह से वंदना कुमारी को 720 और निर्मला देवी को 275 मत मिले, जबकि झंझियानी की एकमात्र प्रत्याशी ममता कुमारी को 840 मत मिले। इससे साफ हो गया है कि वंदना कुमारी को झंझियानी पंचायत से भरपूर वोट भी मिले, लेकिन गृह पंचायत में हर बार होने वाली औसत वोटिंग से 840 वोट कम पड़ने की वजह से बड़ा राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ा, जबकि झंझियानी में 1427 वोट पड़े थे।

यानि चकमोह के कुल मतदान से झंझियानी में 996 वोट अधिक पड़े थे, जिसके चलते वार्ड 12 चकमोह झंझियानी की कुल हुई 1880 की वोटिंग में चकमोह के 23.5 प्रतिशत और 76.5 प्रतिशत वोट झंझियानी से पड़े और इस तरह चुनाव एकतरफा हो गया। वंदना ने बताया कि वोटिंग में समर्थन देने हेतु वे चकमोह और झंझियानी की जनता की आभारी हैं, जबकि इस सारे प्रकरण का जवाब विधानसभा और आगामी पंचायत चुनावों में जनता स्वयं देगी और जल्दी ही चकमोह सुधार सभा का गठन होगा, ताकि गांव की समस्याओं जड़ से की खत्म किया जा सके।