किसानों ने भाजपा नेताओं को बनाया रेस्टहाउस में बंधक, की नारेबाजी

अखिलेश बंसल। बरनाला

एक ओर कोरोना संक्रमण से मारे गए हजारों लोगों को श्रद्धांजली देने के समय था, ऐन उसी बीच बरनाला के सरकारी रेस्ट हाउस पहुंचे भाजपा नेताओं को शनिवार को किसानों ने बंधक बना लिया और भाजपा नेताओं, केंद्र सरकार व राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। पुलिस द्वारा की गई मध्यस्थता और बंधक भाजपाइयों द्वारा बार-बार यह कहने कि केंद्र सरकार हर पहलू पर किसानों के साथ है के बाद वे आजाद हो सके।

गौरतलब हो कि शनिवार को भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रवीण बंसल और जिला प्रभारी विजय सिंगला अपने स्थानीय भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ बरनाला में सरकारी रेस्ट हाउस पहुंचे थे, इससे पहले कि वह मीडिया के साथ प्रेसवार्ता करते उससे पहले ही किसानों ने उन्हें बंधक बना लिया। जिन्होंने रेस्ट हाउस के अंदर दाखिल ना होकर मुख्य गेट से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार और राज्य सरकार के खिलाफ नारे लगाए। पता लगते ही घटनास्थल पर एसपी सुखदेव सिंह विर्क, एसपी जगविंदर सिंह चीमा, डीएसपी लखवीर सिंह टिवाणा, डीएसपी रछपाल सिंह भारी बल के साथ आ पहुंचे।

नेताओं को बाहर निकालने के लिए पुलिस अधिकारी किसानों और भाजपा नेताओं के बीच बार-बार मध्यस्थता करते रहे, ताकि बंधकों को आजाद करने का प्रयास किया जा सके। करीब छ: घंटे बाद भाजपा नेताओं के यह आश्वासन देने कि वह उनके साथ हैं और साथ रहेंगे के बाद किसानों ने घेराबंदी को विराम दिया।किसानों को गुमराह कर रहे माओवादी नेता: भाजपा
किसानों द्वारा की जा रही नारेबाजी के चलते भाजपा नेता प्रवीण बंसल ने मीडिया से बात करते कहा कि तीनों कृषि कानून किसानों के हित में हैं। कानूनों से अवगत हजारों किसान पारित किए गए कानूनों के पक्ष में भी हैं, लेकिन किसानों की आड़ में जो माओवादी नेता छिपे हुए हैं वह अपने एजेंडे को लागू करने के लिए किसानों को गुमराह करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि तीनों कानून किसानों के पक्ष में हैं, जो किसानों की आर्थिक, कृषि हालत को सुधारने में पूरी तरह से मददगार होंगे। उनके साथ रेस्ट हाउस में बंधक बनाए गए अन्य नेताओं में जिलाध्यक्ष यादविंदर शर्मा, पूर्वाध्यक्ष गुरमीत बावा, राजिंदर उप्पल, मंगलसेन भी शामिल थे।

किसानों को मंजूर नहीं तीनों कानून: भाकियू
इधर भारतीय किसान यूनियन के नेता बलौर सिंह व अन्य नेताओं ने कहा कि भाजपा नेताओं का घेराव जारी रहेगा, रेस्ट हाउस में घेरे गए नेताओं को बाहर नहीं जाने देंगे। तीनों कानून किसान व कृषि विरोधी हैं।