कोरोना की मार : प्राइवेट बस सेक्टर की टूटी कमर

100 प्रतिशत तो दूर सीटों पर भी सवारियां नहीं कर रही सफर

उमेश भारद्वाज। सुंदरनगर

वैश्विक महामारी कोरोना संकट के बीच पहले 3 महीने निजी बसें लॉकडाउन के बीच खड़ी रही। लेकिन जैसे ही सरकार ने कुछ रियायतों के बाद निजी बसों को चलाने के आदेश दिए तो बस मालिकों ने राहत की सांस ली। लेकिन उन्हें क्या पता था कि यह राहत नहीं एक मुश्किल बनकर सामने आएगी। बस मालिकों को 100 प्रतिशत की छूट के बावजूद 30 से 32 सीटर बस में सीटों को भरने को लेकर भी सवारिया नहीं मिलने के कारण भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस कारण उन्हें रोजी रोटी के लाले पड़ने लग गए हैं। बस मालिकों को डीजल के पैसे के साथ चालक परिचालकों की दिहाड़ी निकालने में भी दिक्कतें हो रही हैं । इस कारण बस मालिक बसों को फिर से खड़ा करने के लिए मजबूर हो गए हैं। इससे ट्रांसपोर्ट कारोबार बिल्कुल ठप्प होने की कगार पर पहुंच गया है।

  • डीजल का खर्चा निकालना भी मुश्किल

जानकारी देते हुए सुंदरनगर के बस मालिक प्रभात ने कहा कि सीएम जयराम ठाकुर व परिवहन मंत्री के दिशा निर्देशों अनुसार बसें चलाना शुरू की है। लेकिन 30 सीटर बस में मात्र 8 से 9 सवारियां हर चक्कर में मिल रही है। इस कारण डीजल का खर्चा निकालना भी मुश्किल हो गया है। अपनी दिहाड़ी तो दूर की बात चालक परिचालकों की दिहाड़ी भी नहीं निकल पा रही है और दूसरी गाड़ी के टायरों की घसाई और गाड़ी रखरखाव दूसरा विषय है। उन्होंने कहा कि बसें चलाना बहुत ही मुश्किल हो रहा है।

  • सरकार से मांग: टैक्स और टोकन माफ किया

उन्होंने सरकार से मांग की है हालात में टैक्स और टोकन माफ किया जाये। उन्होंने कहा कि बस चालकों से अड्डा शुल्क अभी भी वसूला जा रहे उसे भी माफ किया जाये। उन्होंने कहा कि अगर कुछ दिन और ऐसे हालात रहे तो ट्रांसपोर्ट सेक्टर बिल्कुल खत्म हो जाएगा और रोजी रोटी के लाले पड़ जाएंगे। उन्होंने सीएम जयराम ठाकुर से मांग की है कि हमारे बारे में जल्द कुछ सोचा जाये नहीं तो हमारा रोजगार खत्म हो जाएगा।