इस साल भी खुले में होगा बंदरोल सब्जी मंडी में करोड़ो का कारोबार

मनीष ठाकुर। कुल्लू

जिला कुल्लू की बंदरोल सब्जी मंडी साल में फल-फ्रूटस और सब्जी का करीब डेढ़ सौ करोड़ का कारोबार करती है। फिर भी यह सब्जी मंडी फटेहाल है। वर्षों से इस सब्जी मंडी को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने की बातें की जा रही है लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं है। जाहिर है कि इस बार भी यह सब्जी मंडी तिरपाल के तंबुओं से सज रही है और फिर इस बार करोड़ों का कारोबार तंबुओं के नीचे होगा। दरअसल, यहां सब्जी मंडी वर्ष 1998 से शुरू हुई है। लेकिन सुविधाओं के नाम पर राजनीतिज्ञों ने सिर्फ आश्वासन और औपचारिकताएं ही निभाई है।

सब्जी मंडी में आधुनिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए दस साल पहले भूमि एपीएमसी को स्थानांतरित हो चुकी है लेकिन इन दस सालों में अभी तक यहां स्ट्रक्चर के नाम पर सिर्फ एक छोटा सा स्ट्रक्चर बनाया गया है। मंडी को आधुनिक बनाने के लिए कुछ वर्षों से डीपीआर बनाने का काम चल रहा है लेकिन हकीकत यह है कि यह डीपीआर भी अभी तक नहीं बन पाई है। ऐसे में घाटी के किसानों-बागवानों को वर्षों से यहां आधुनिक सुविधाएं मुहैया करवाने के सिर्फ सब्ज बाग ही दिखाए जाते रहे हैं। एक हैक्टेयर के दायरे में फैली इस सब्जी मंडी को किसानों बागवानों के लिए बेहतरीन बनाने के लिए हालांकि वर्ष 1998 से ही दावे किए जाते रहे हैं।

 

परंतु सब्जी मंडी शुरू होने के 12 साल बाद वर्ष 2010 को आखिर भूमि को स्थानांतरित किया गया। इतने सालों तक पहले ही तंबुओं में कारोबार होता रहा। लेकिन जमीन स्थानांतरित होने के बाद भी यहां किसानों-बागवानों को सुविधाएं नहीं मिल पाई। राजनीतिज्ञों को दावे करते हुए 10 साल और बीत गए लेकिन सब्जी मंडी का स्वरूप नहीं बदल पाया। अब डीपीआर बनाने की तैयारी चल रही है अब डीपीआर बनाने में कितना समय लगेगा यह तो एपीएमसी और सरकार ही बता सकते हैं। परंतु हकीकत यह है कि किसानों बागवानों को सब्जी मंडी में सुविधाएं मुहैया करवाने के नाम पर आज तक ठगा जाता रहा है।

सब्जी मंडी में सुविधाएं उपलब्ध करवाने की यह है योजना अब योजना यह है कि बंदरोल सब्जी मंडी का स्वरूप बदलने के लिए वर्ल्ड बैंक फंडिंग करेगा। जिसके लिए हालांकि अभी तक 10 करोड़ रुपए टोकन अमाउंट रखा गया है लेकिन डीपीआर बनने के बाद इसकी लागत और बढ़ने की संभावनाएं हैं। यहां सब्जी मंडी में दुकानें, आक्शन शैड, ओबरहैड टैंक, व्यापारियों के ठहरने के लिए कमरे आदि बनाने की योजना है। जिसकी डीपीआर बनाई जा रही है।

एपीएमसी कुल्लू के सचिव सुशील गुलेरिया का कहना है कि सब्जी मंडी में सुविधाएं देने को लेकर डीपीआर तैयार की जा रही है। एफसीए के लिए भी आवेदन किया जा रहा है। इस सब्जी मंडी में स्ट्रक्चर और अन्य सुविधाएं देने के लिए वर्ल्ड बैंक से धन का प्रावधान किया जा रहा है। फिलहाल, इसके लिए वर्ल्ड बैंक की ओर से 10 करोड़ रुपए टोकन मनी के रूप में रखा गया है और यह डीपीआर के बाद बढ़ सकता है।

यह सब्जी मंडी एक ऐसी सब्जी मंडी है जहां बीते 4-5 सालों से एक सौ करोड़ से लेकर डेढ़ सौ करोड़ तक का कारोबार होता है। इतना कारोबार होने से एपीएमसी को भी सालाना एक से डेढ़ करोड़ रुपए की 1 प्रतिशत के हिसाब से कमीशन मिल रही है। परंतु एपीएमसी भी इतने सालों से सिर्फ कमीशन लेने वाला ही बना रहा लेकिन सब्जी मंडी की दशा को सुधारने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए।