पूरे विधि-विधान और मंत्राेंउच्चारण के साथ हुआ कैप्टन बीएस थापा संस्कार

शैलेश शर्मा। चंबा

अजुन अवॉर्डी होनेरी कैप्टन बीएस थापा का उनके सेंटर शिलांग के सेंटर ग्राउंड में बुधवार काे समस्त आर्मी के अधिकारियों और उनके यूनिट के सभी जवानों और उनके घर से आए हुए लोगों द्वारा पूरे राजकीय सम्मान के साथ अर्जुन अवार्डी बीएस थापा को श्रद्धा सुमन अर्पित कर शमसान घाट में यूनिट के पंडित के द्वारा पूरे विधि-विधान और मंत्राेंउच्चारण कर उनके छोटे भाई श्याम सिंह थापा द्वारा मुखाग्नि दी गई। गौर रहे कि बीएस थापा रविवार को अपने यूनिट के राइज़िंग-डे पार्टी खत्म होने के बाद अपने पत्नी वीना थापा के साथ खुशी अपने घर बकलोह वापस आ रहे थे, इस बीच शिलांग से गोहाटी आकर जब दोनों माता कामख्या के दर्शन करके शाम को जब वो रेलवे स्टेशन में अपने वेटिंग रूम में पहुंचे, ताे उनकी अचानक उनका ह्रदय गति रुकने के कारण वहीं उनकी अकस्मात मृत्यु हो गई थी।

उसके बाद उनके मृत शरीर को उनके यूनिट शिलांग मे ले गए, जहां आज सुबह 8 बजे राष्ट्रीय सम्मान के साथ अपने ही सेंटर के श्मशानघाट में दाह संस्कार कर दिया गया। वहीं, बकलोह के गोरखा सभा और एक्स सर्विस मेन लीग ककीरा में भी अर्जुन अवाडी बीएस थापा कि फोटो के आगे पुष्प अर्पित किए और दो मिनट का मौन भी रखा। बीएस थापा द्वारा मॉस्को ओलंपिक में भी देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, कोमन वैल्थ औऱ एशियन गेम में भी दो बार गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। ओलंपिक खिलाड़ी बीएस थापा द्वारा बॉक्सिंग में 1981 में किंग कप थाईलैंड मई ब्रास मेडल जीत चुके हैं। 1979 में उन्हें अर्जुन अवार्ड से नबाजा गया। 1983 में उन्हें विशिष्ट सेबा मेडल से पुरस्कृत किया गया।

इस के अलावा के कई और मेडल भी जीत चुके है। बॉक्सिंग के इतिहास में अर्जुन अवॉर्डी बीएस थापा का नाम दर्ज है। चंबा जिला के बकलोह के रहने वाले बीएस थापा ही एक ऐसी सख्श थे, जिन्हें अर्जुन अवार्ड मिला था। इनकी अकस्मात मौत से दुःखी उनके बड़े भाई को भी उनकी मौत का पता नहीं था। उन्होंने बताया कि हमे बिल्कुल भी पता नहीं था कि उनकी मृत्यु हो गई है। हमे पता चला कि जा वह अपने घर बकलाेह वापस आ रहे थे, तो कामख्या माता के मंदिर में जाने के बाद वह रेलवे के वेटिंग रूम की कुर्सी पर बैठे-बैठे ही गिर गए और उनकी मोत हो गई। गोरखा समुदाय के सभापति विजय थापा ने उनकी इस अकस्मात मौत पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि वह हमारे गोरखा समाज के बहुत ही उत्कृष्ठ और पॉजिटिव विचार के व्यक्ति थे, जो कि अब हमारे बीच में नहीं रहे है, जिसका की हमे बेहद दुःख है।