भौतिकवाद की दुनिया में कहीं पूजा नहीं होती: कैप्टन संजय पराशर

उज्जलव हिमाचल। संसारपुर टैरेस

कैप्टन संजय पराशर ने कहा कि बेशक आधुनिक होते समाज में भौतिकवाद की महत्ता भी बढ़ी है, लेकिन इसके बावजूद सच यह भी है कि दुनिया में आज भी कहीं भौतिकवाद की पूजा नहीं होती है। भौतिकवाद से सुख-स्मृद्धि तो मिल सकती है, लेकिन अंर्तमन की शांति कभी हासिल नहीं की जा सकती। सोमवार को जसवां-परागपुर क्षेत्र के संसारपुर टैरेस में चल रही श्रीराम कथा के आयोजन में पहुंचे पराशर ने कहा कि आज अंनत भौतिक सुख सुविधाएं होने के बाद भी इंसान दुखी नजर आता है। इसका कारण यह है कि मनुष्य वस्तुओं के संग्रहण के चक्कर में मानवता से दूर होता जा रहा है। व्यक्ति अगर व्यक्ति से प्रेम करना सीख ले और वस्तुओं का सलीके से उपयोग करे तो फिर समाज स्वस्थ नजर आएगा।

बावजूद भौतिकवाद ने इंसानियत की परिभाषा ही बदल कर रख दी है। आज हर क्षेत्र में जड़ता फैलती दिख रही है और दर्शनवाद की बजाय प्रदर्शनवाद हावी होता हुआ नजर आता है। कहा कि एक समय वो भी था जब लोग धर्म को केन्द्र में रखकर व्यापार करते थे, लेकिन अब इसके उलट धर्म व्यापार का रूप लेने लगा है। इतना सब होने के बावजूद भी आत्मिक शांति के लिए भौतिकवाद कहीं कोई विकल्प नहीं है। भारतीय दर्शन में अध्यात्म का महत्व हमेशा से सबसे ऊपर रहा है और इसी कारण राष्ट्र को कभी विश्व गुरू का दर्जा भी हासिल हुआ। ऐसे में अपने रोजगार व व्यापार में नैतिकता व सच्चाई के साथ चलना चाहिए।

कैप्टन संजय ने कहा कि उन्हें मर्चेंट नेवी में नौकरी करने के उपरांत कई बार पड़ोसी देश श्रीलंका में जाने का अवसर प्राप्त हुआ और उस देश की संस्कृति व परंपराओं को नजदीक से जानने का मौका भी मिला। इस दौरान उन्होंने वहां के वासियों से पूछा कि इस देश में कभी रावण का राज्य रहा है और सोने की लंका भी थी तो क्या वहां इस शासक का कोई मंदिर भी है।

इस पर वहां के संतों व विद्धानों ने बताया कि अहंकारी व ईश्वर के नियमों के विपरित चलने वाला व्यक्ति चाहे वर्तमान में कितना ही प्रभावशाली हो जाए, लेकिन उसका भविष्य में कोई अस्तित्व नहीं रहता और ऐसे लोगों को इतिहास भी कभी माफ नहीं करता। इसलिए रावण का कोई मंदिर उनके देश में नहीं है।

पराशर ने कहा कि हम सभी राजा हरिश्चंद्र की उदाहरण किसी दूसरे को प्ररेणा देने के लिए हमेशा देते रहते हैं, लेकिन उनके द्वारा किए गए त्याग, तपस्या व बलिदान को अपने जीवन के यथार्थ में नहीं उतारते हैं। जबकि होना तो यह चाहिए कि अगर सच्चाई की राह पर चलते हुए रास्ते में कांटे भी आएं तो उन्हें अंगीकार करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि नर सेवा नारायण सेवा है और इसी सूत्र वाक्य को साक्षी मानकर उन्होंने भी जसवां-परागपुर को मोतियाबिंद मुक्त करने का संकल्प लिया है। इसी के मद्देनजर जसवां-परागपुर क्षेत्र में मेडीकल कैंपों का आयोजन किया जा रहा है। इस क्षेत्र की घाटी पंचायत में भी आगामी 14 अप्रैल को स्वास्थ्य शिविर लगाया जाएगा। इस मौके पर महंत शीतल गिरी ने संजय पराशर द्वारा निभाए जा रहे सामाजिक सरोकारों की सराहना की।