उम्र के मुश्किल वक्त में कश्मीर सिंह का सहारा बन गए कैप्टन संजय

कश्मीर बोले, किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं पराशर

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

जसवां-परागपुर क्षेत्र का एक गांव है, गुरालधार इसी गांव की चपरू बस्ती के बुजुर्ग रिटायर्ड सूबेदार मेजर कश्मीर सिंह और उनकी बीमार पत्नी रीता देवी उम्र के इस पड़ाव पर आकर खुद को अकेला व असहाय महसूस कर रहे थे। उनके लिए जीवन का यह दौर बेहद मुश्किल प्रतीत हो रहा था। संसाधनों की कमी के कारण वे चाहकर भी अपनी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाें को दूर नहीं कर पा रहे थे। इसी बीच कश्मीर सिंह का संपर्क कैप्टन संजय से हुआ तो उसके बाद जैसे जिंदगी ही बदल गई। संजय ने उन दाेनों बुुजर्गों को न सिर्फ स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाईं, बल्कि अपनत्व का भी अहसास करवाया। अब सिंह गर्व से कहते हैं कि उनके पास पराशर जैसा मसीहा है, जो हर हाल में व हर समय में उनकी मदद को तैयार रहते हैं।

दरअसल जीवन के 78 बसंत देख चुके कश्मीर सिंह के घुटनों का आपरेशन होने के बाद वह कुछ समय बाद चलने-फिरने में लगभग असममर्थ हो गए। उनकी पत्नी रीता फेफड़ों की गंभीर बीमारी से जूझ रही हैं। उन्हें सांस लेने में अक्सर तकलीफ हो रही थी और स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता जा रहा था। किसी संबंधी ने बताया कि कश्मीर संजय पराशर से संपर्क करें तो मदद मिल सकती है। इसके बाद सिंह ने कैप्टन संजय से बात की तो उन्हाेंने कश्मीर सिंह के घर ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर पहुंचा दिया। चूंकि यह मशीनें आपात स्थिति के मरीजों के लिए ही रखी गई थीं, लेकिन रीता की स्थिति को ध्यान में रखते हुए पराशर ने स्थाई तौर पर आॅक्सीजन कंस्ट्रेटर कश्मीर के घर में रख दिया और बकायदा मशीन को आपरेट करने के लिए प्रशिक्षित भी किया।

इसके बाद कश्मीर ने संजय को बताया कि उनकी व पत्नी की आंखों की रोशनी कम हो गई है और चूंकि वे चलने.फिरने में असमर्थ हैं तो पराशर द्वारा लगाए जा रहे मेडीकल कैंपों में नहीं आ सकते। इन हालात में संजय ने बुजुर्ग दंपति की नेत्र जांच के लिए विशेष टीम भेजी और उन्हें आखों के चश्मे निशुल्क उपलब्ध करवाए। तब उन्हें सुनने में भी कठिनाई पेश आने लगी तो संजय ने उनके लिए कानों की सुनने वाली मशीनें भी दीं। कश्मीर सिंह ने बताया कि समाज में कैप्टन संजय जैसे शख्स दूसरों की मदद और सेवा में ही अपनी जिंदगी का ध्येय तलाशते हैं।

पराशर जहां मुसीबत में फंसे व बेसहारों के मसीहा बन जाते हैं, वहीं समाज के बाकी लोगों को भी एक प्रेरणा देते हैं। परेशान व तंगहाल लोगों की राह के कांटे चुनने का संजय के पास एक तरह का हुनर है। सिंह की पत्नी रीता ने भावुक होते हुए कहा कि शायद पराशर जैसे ही आदमी होते हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि कुछ लोगों की अच्छाई पर ही दुनिया टिकी है। वहीं, पराशर का कहना था कि उक्त दंपति को सहारे व अपनेपन की आवश्यकता थी। वह उनके बेटे के समान हैं और उन्होंने कोई उपकार नहीं किया, बल्कि अपना सामाजिक फर्ज निभाया है। बताया कि उनसे जो संभव होगा, वह भविष्य में इन बुजुर्गों की मदद करते रहेंगे।