हमीरपुर के गौरव को दी कैप्टन संजय ने तीन लाख रूपए की स्कॉलरशिप

राष्ट्रीय स्तर पर उतीर्ण किया था मेरीन टेस्ट, लेकिन पढ़ाई के लिए नहीं थे पैसे

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

बेशक उस युवक ने जिंदगी में कुछ बनने का सपना देखा था और उस सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत भी की। परिणाम यह हुआ कि वह राष्ट्रीय स्तर के आईएमयू टेस्ट (इंडियन मेरीटाइम यूनिवर्सिटी) की प्रवेश परीक्षा में भी उतीर्ण हो गया। युवक का चयन देश के तीन नामी मेरीटाइम संस्थानों में भी हो गया। अब विडंबना यह थी कि वह युवक चाहकर भी बीई मेरीन का कोर्स नहीं कर सकता था। उसके उज्जवल भविष्य में विरासत में मिली गरीबी दीवार बन चुकी थी, लेकिन कहते हैं कि जिसका कोई नहीं हाेता, उसके लिए भी भगवान कोई न कोई सहारा दे ही देते हैं। सही मायनों में हमीरपुर के गौरव की जिंदगी में भी कैप्टन संजय पराशर एक फरिश्ता बनकर आए और उन्होंने तीन लाख की स्कॉलरशिप देकर उसकी पढ़ाई व सुनहरे भविष्य का रास्ता साफ कर दिया।

बड़ी बात यह भी है कि संजय ने इस कोर्स को करने के बाद अपनी ही कंपनी वीआर मेरीटाइम सर्विसेस प्रा. लिमिटेड में गौरव को नौकरी करने का स्पांसरशिप लेटर भी दे दिया है। कोर्स पूरा हाेने के बाद गौरव को रोजगार भी मिल जाएगा। दरअसल हमीरपुर जिला के बड़सर तहसील के बरोली गांव का युवक गौरव पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहा है, लेकिन पिता वेदप्रकाश का साया सिर से उठने के बाद और मां सुनीता देवी के दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो जाने के बाद परिवार के आर्थिक हालात पूरी तरह से बिगड़ गए। बावजूद गौरव पढ़ाई की तरफ पूरा ध्यान रखता रहा और आखिर में आईएमयू टेस्ट भी क्लीयर कर दिया।

अब सवाल यह था कि लाखों रूपए का खर्च गौरव कैसे करे, जब परिवार की कमाई का साधन न के बराबर था। हताश, निराश गौरव को किसी सज्जन ने कैप्टन संजय का मोबाइल नंबर दिया और संपर्क करने को कहा कि संजय जरूर कोई न कोई रास्ता निकालेंगे। गौरव ने बताया कि उसने डरते हुए पराशर से मदद मांगी, तो उन्होंने उसे चिंतपूर्णी स्थित कार्यालय में आने को कहा। चूंकि सोमवार दोपहर बाद वह जब घर से निकला तो कार्यालय पहुंचने में देर होना भी लाजिमी था। पराशर से फोन पर बताया कि वह लेट ऑफिस में पहुंचेगा। खैर, संजय इस युवक का रात 9 बजे तक इंतजार करते रहे।

जब गौरव की दास्तान सुनी, तो पराशर ने बीई मैरीन के कोर्स के लिए तीन लाख रूपए की स्कॉलरशिप प्रदान कर दी। इतना ही नहीं जब वह चार वर्ष बाद कोर्स पूरा कर लेगा, तो उसे संजय अपनी ही कंपनी में जॉब देंगे। गौरव की माता सुनीता ने बताया कि कैप्टन संजय उनके लिए भगवान का दूसरा रूप बनकर आए हैं। गौरव प्रतिभाशाली तो है, लेकिन अगर संजय का सहारा नहीं मिलता तो बेटा किसी मुकाम तक नहीं पहुंच सकता था।

गौरव ने बताया कि वह पराशर के इस उपकार के लिए जिंदगी भर आभारी रहेगा और खुद को साबित करने के लिए दिन-रात मेहनत व लग्न से पढ़ाई करेगा। वहीं, संजय पराशर ने कहा कि अगर उनके संसाधनों का उपयोग गौरव जैसे होनहार व प्रतिभाशाली युवकों के भविष्य को संवारने में लग रहा है, तो इसमें भी भगवान की ही मर्जी है। मानवीय सेवा के कार्य ईश्वर की कृपा के बिना पूर्ण नहीं होते हैं। उन्हें प्रसन्नता है कि भगवान ने जो उन्हें सेवा भाव का कार्य सौंपा है, उसे वह कर रहे हैं और आगे भी निरंतर करते रहेंगे।