पशुधन के बीमा को लेकर कैप्टन संजय ने शुरू की बड़ी पहल

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

कैप्टन संजय ने जसवां-परागपुर क्षेत्र के किसानों व पशु पालकों की आय दाेगनी करने के लिए अभियान छेड़ दिया है। इस प्राेजेक्ट के तहत पराशर द्वारा किसानों के दुधारू पशुओं का निशुल्क बीमा भी करवाया जा रहा है। इसके अलावा पशु पालन व्यवसाय से जुड़े किसानों को इसी माह पराशर हरियाणा के करनाल स्थित नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीच्यूट का दौरा भी करवाएंगे। वहां किसानों काे पशुओं की उत्तम नस्लों की जानकारी और दूध उत्पादों से आय कैसे बढ़े, के बारे में भी प्रधान वैज्ञानिक अवगत करवाएंगे। दरअसल जसवां-परागपुर क्षेत्र में किसानों व पशु पालकों की आय बढ़ाने के लिए संजय पराशर ने प्रारूप तैयार कर लिया है।

खेती को लेकर कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर से संपर्क साध कर उन्होंने उत्तम बीजों, मिट्टी की सैंपलिंग और कृ़षि के आधुनिक तरीकों से खेती करने के साथ इस क्षेत्र के किसानों के साथ भी विस्तृत चर्चा की है। वहीं, दुग्ध उत्पादन से किसानों की आय बढ़ाने के लिए भी संजय ने प्रयास तेज कर दिए हैं। किसानों के लिए रक्कड़ क्षेत्र में डेयरी उद्योग लगाने की संजय की योजना है। पशु धन के बीमा को लेकर भी संजय ने बड़ी पहल की है। किसान व पशु पालक किसी दुधारू पशु की असमय मौत पर आर्थिक तौर पर इतने सक्षम नहीं होते हैं कि वे नया पशु खरीदकर अपनी गौशाला में बांध सकें। इसके बाद किसानों की आय के साधन घट जाते हैं और फिर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं भी हो पाते हैं।

क्षेत्र में इसी बात को ध्यान में रखते हुए पराशर ने पशुधन का बीमा करवाने का निर्णय लिया। शनिवार को कूहना और आसपास के चार गांवों के 19 गाय व भैंसों के बीमा करवाए गए हैं। पहले चरण में एक सौ पशुओं का बीमा करवाया जाएगा। इसके साथ ही किसानों को प्रशिक्षित करने व अत्याधुनिक तकनीक की जानकारी के लिए राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान का दौरे का कार्यक्रम भी तय कर दिया गया है। जसवां-परागपुर क्षेत्र के किसान 17 अक्तूबर को नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीच्यूट, करनाल का दौरा करेंगे। किसानों के लिए सारी व्यवस्था कैप्टन संजय द्वारा निशुल्क की गई है। किसान वहां दुग्ध उत्पादन की बारीकियां प्रधान वैज्ञानिकों से सीखेंगे।

ज्ञात रहे कि हाल ही में जसवां-परागपुर के किसानों का संवाद कार्यक्रम एनडीआरआई के वैज्ञानिकों से हुआ था। किसानों की आय दुगनी करने के लिए पराशर की एक हजार लीटर दूध वाले प्लांट लगाने की योजना है, जिससे डेयरी उत्पाद तैयार किए जाएंगे। इसके अलावा दूध का टेस्ट करने के लिए प्रयोगशाला के भी निर्माण का रोड़ मैप भी संजय तैयार कर चुके हैं। कैप्टन पराशर ने बताया कि क्षेत्र के किसानों की हर समस्या से वह भली-भांति परिचित हैं। नवीन तरीकों से खेती को माध्यम बनाया जाए और दूध उत्पादन बढ़े तो निश्चित तौर पर किसानों की आय दुगनी होगी। इस दिशा में उनके प्रयास निरंतर जारी रहेंगे।