पानी के लिए इधर-उधर भटकने को मजबूर मवेशी

सुरेंद्र जम्वाल। घुमारवीं

घुमारवीं उपमंड़ल मे आवारा पशुओं की हालात बहुत ही दयनीय है तथा अकसर ये आवारा पशु झुंड बनाकर सड़कों पर चलते हैं, जिससे कई दुर्घटनाएं क्षेत्र मे हुई हैं। लॉकडाउन होने के कारण यह पशु पानी व खाने के लिए धर-धर भटक रहे हैं। घुमारवीं शहर में आवारा पशुओं के झुंड को शहर के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक दिन भर घुमते हुए देखा जा सकता है।

हाई कोर्ट के द्धारा हर पंचायत व नगर परिषद के क्षेत्र मे गाै सदन बनाने के लिए दिए गए आदेश सिर्फ फाइलों में ही दफन हो गए हैं, जिसके लिए स्थानीय प्रशासन व जिला प्रशासन भी कम उतरदायी नहीं है। स्थानीय प्रशासन व जिला प्रशासन अगर कड़ाई से हर पंचायत व नगर परिषद को हाईकोर्ट के आदेशानुसार गाै सदन खुलवा पाता, तो शायद कुछ हद तक ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में घूम रहे आवारा पशुओं की संख्या मे कमी दर्ज हो पाती हैं।

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सरकारें आ रही हैं और जा रही हैं, पर आवारा पशुओं के लिए कोई ठोस नीति नहीं बन पा रही हैं। सरकार के द्धारा शराब की हर बोतल पर एक रुपए गाैसदन बनाने के नाम पर वसूला जा रहा है, जिससे सरकार खजाने में बढ़ौतरी तो दर्ज की गई, पर जिला में एक भी गाैसदन नया नहीं बना है। सड़कों पर गुम रहे आवारा पशुओं के द्धारा सात लोगों को मौत के घाट उतारा जा चुका है तथा कई लोगों पशुओं के हमालों से घायल होकर अस्पताल के भी चक्कर काटने को मजबूर हुए हैं।

उपमड़ल के विभिन्न क्षेत्र में इन पशुओं की बढ़ती तादात को देखते हुए कई लोगों के खेती करने से भी तौबा कर ली है। हांलाकि प्रशासन के द्वारा उपमंडल मे तीन गाैसदनों का निर्माण भी करवाया गया है। वह कुठेड़ा, पड़यालग तथा बाड़ी मझेड़वा में है, जिसमें पड़यालग व कुठेड़ा का शुरू हो गया है तथा बाड़ी मझेड़वा का निर्माणधीन है।

पड़यालग मे लगभग 200 पशुओं की रखने की व्यवस्था है तथा कुठेड़ा में 60 है, जो क्षेत्र मे आवारा पशुओं की बढ़ती तादात के लिए कम पड़ रहे हैं। गर्मी के मौसम में यह आवारा पशु पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं तथा प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है।

एसडीएम शशिपाल शर्मा ने कहा कि प्रशासन समय समय पर क्षेत्र में घुम रहे आवारा पशुओं को गाै सदनों में भेजता रहा है ,अगर दोबारा शहर व क्षेत्र में पशुओं की संख्या में बढ़ौतरी हुई हैं, तो शीघ्र ही दाेबारा क्षेत्र के पशुओं को गाै सदनों में भेजा जाएगा।