हिमाचल में बंदरों को वर्मिन घोषित करने को केंद्र से दोबारा मांगी गई अनुमति

उज्जवल हिमाचल। डेस्क

बंदरों को वर्मिन यानी पीड़क जंतु घोषित करने के मामले में हिमाचल को कोई राहत नहीं मिल पाई है। प्रदेश में अप्रैल-मई से बंदरों को मारने पर रोक है। अब केंद्र के समक्ष 93 तहसीलों व उपतहसीलों के लिए नए सिरे से अनुमति मांगी जाएगी। इसके लिए फील्ड से कुछ डाटा मांगा था, जो प्राप्त नहीं हो पाया है। इस लिए दोबारा पत्र लिखा गया है। इसमें पूछा गया है कि प्रदेश में वर्मिन अवधि के दौरान किसानों ने कितने बंदर मारे। क्या बंदरों के इंसानों पर हमले की घटनाएं कम हो रही हैं या बढ़े हैं। वन विभाग का जोर नसबंदी कार्यक्रम पर है। करीब डेढ़ दशक से अधिक समय से यह कार्यक्रम चल रहा है।

कितने कम हुए बंदर

वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में बंदरों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। विभागीय आंकड़े कहते हैं कि बंदरों की संख्या कम हुई है। हालांकि विभाग के पास बंदर मारने की घटनाएं रिपोर्ट नहीं हो पाई हैं। अधिकारियों का कहना है कि इनकी संख्या कम होने नसबंदी और मारना कारण रहे हैं।

पूर्व आइएफएस एवं अध्यक्ष हिमाचल प्रदेश किसान सभा डा. केएस तंवर का कहना है बंदरों की नसबंदी के परिणाम सही नहीं आए हैं। हां, जब जब वर्मिन घोषित किया है तब इन्हें मारा भी गया है। पिछली एक साल की अवधि में किसानों ने 30 से 40 हजार बंदर मारे हैं, लेकिन रिपोर्ट नहीं किए। बंदरों की गणना विभाग सही तरीके से नहीं करता है। अभी ढाई लाख के आसपास बंदर हैं।

पीसीसीएफ वन्य प्राणी विंग अजय श्रीवीवास्तव का कहना है केंद्र सरकार ने कुछ आपत्तियां लगाई थी, जिन्हें दूर किया जा रहा है। बंदर मारने कई कारणों से रिपोर्ट नहीं हुए। जल्द ही पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को पत्र लिखेंगे। उम्मीद है कि बंदरों को वर्मिन घोषित होने की अनुमति मिल जाएगी।