अनाथ और बेसहारा बच्चों को मिला सरकार का सहारा

उज्जवल हिमाचल ब्यूरो । हमीरपुर

माता-पिता की मृत्यु से अनाथ हुए या फिर अन्य कारणों से मां-बाप के सान्निध्य से महरूम बेसहारा बच्चों को जीवन-यापन के लिए किन-किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है, इसकी कल्पना मात्र से ही हृदय सिहर उठता है। अक्सर रिश्तेदारों के ठुकराने से ऐसे बच्चों को कच्ची उम्र में ही अत्यंत विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है और उन्हें बाल आश्रमों की शरण लेनी पड़ती है। इन बच्चों के दर्द को समझते हुए सरकार ने उनके बेहतर पालन-पोषण और पारिवारिक माहौल में ही उनकी परवरिश के लिए बाल-बालिका सुरक्षा योजना आरंभ की है। विषम परिस्थितियों में रह रहे अनाथ और बेसहारा बच्चों के लिए यह योजना एक बहुत बड़ा वरदान साबित हो रही है।

  • बाल-बालिका सुरक्षा योजना में इन बच्चों को प्रतिमाह मिलते हैं 2500 रुपये

18 वर्ष की आयु तक ऐसे बच्चों के पालन-पोषण और पारिवारिक माहौल में ही बेहतर परवरिश के लिए इनके पालक अभिभावकों को बाल-बालिका सुरक्षा योजना के तहत प्रतिमाह 2000 रुपये की धनराशि दी जाती है। बच्चों के पालक अभिभावकों में उनके दादा-दादी, चाचा-चाची, ताया-ताई, भाई-भाभी, फूफा-फूफी, नाना-नानी, मामा-मामी, मौसा-मौसी या अन्य रिश्तेदार हो सकते हैं। पालक अभिभावकों को 2000 रुपये के अलावा बेसहारा बच्चों के खातों में प्रतिमाह 500 रुपये भी जमा किए जाते हैं और 18 वर्ष की आयु पूरी होने पर यह जमा राशि एकमुश्त इन्हें मिल जाती है।

सभी अनाथ बच्चे इस योजना का लाभ उठाने के लिए पात्र हैं। इनके अलावा अगर किसी बच्चे के पिता का देहांत हो गया हो और मां ने दूसरी शादी कर ली हो तथा वह बच्चे की देखभाल नहीं करती हो तो उक्त बच्चे को भी बाल-बालिका सुरक्षा योजना का लाभ मिल सकता है। यदि किसी बच्चे की मां का देहांत हो गया हो और पिता जेल में हो या माता-पिता दोनों जेल में हों तो वह बच्चा भी बाल-बालिका सुरक्षा योजना का लाभ लेने के लिए पात्र है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी हुक्म चंद शर्मा ने बताया कि हमीरपुर जिला में भी पात्र बच्चों को बाल-बालिका सुरक्षा योजना का लाभ पहुंचाया जा रहा है। जिला में इस वर्ष 79 अनाथ एवं बेसहारा बच्चों के पालन-पोषण के लिए उनके अभिभावकों को प्रतिमाह दो-दो हजार रुपये दिए जा रहे हैं। इसके अलावा इन बच्चों के नाम प्रतिमाह पांच-पांच सौ रुपये भी जमा किए जा रहे हैं।

जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि बाल-बालिका सुरक्षा योजना का मुख्य उद्देश्य अनाथ एवं बेसहारा बच्चों का बेहतर बचपन और पारिवारिक माहौल में ही उनकी परवरिश सुनिश्चित करना है, ताकि उन्हें बाल आश्रमों में न जाना पड़े।