हिमाचल में बारिश न होने से गेहूं की फसल पर छाए संकट के बादल

उज्जवल हिमाचल। ऊना

जिला ऊना में दिसंबर में बारिश न होने से गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा है। गेहूं की बिजाई के 35 दिन बाद पानी की जरूरत होती है। जहां सिंचाई की सुविधा है वहां फसल को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल जाता है, लेकिन जो क्षेत्र सिंचाई से वंचित हैं, वहां हर साल बारिश पर निर्भर रहना पड़ता है। जिले में सिंचाई योग्य क्षेत्र 25 प्रतिशत है, जबकि 70 प्रतिशत कृषि भगवान भरोसे है। बारिश होने पर अच्छी फसल हो जाती है। फसल अच्छी न होने से किसानों का खेतों की जुताई व गेहूं के बीज का खर्च भी पूरा नहीं होता है। साथ ही अनाज व चारे की भी किल्लत होती है।

कुछ वर्षों से दिसंबर के अंतिम सप्ताह में बारिश होती रही है। इससे फसल भी हुई है। लेकिन इस बार दिसंबर के अंतिम सप्ताह में बारिश न होना अच्छी फसल न होने का संकेत दे रहा है, क्योंकि जिले का काफी क्षेत्र ऐसा है, जहां सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं होता है। जिले में 3870 हेक्टेयर में गेहूं की बिजाई की गई है। इसमें 25 प्रतिशत क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा है, जबकि बाकी क्षेत्र में फसल बारिश पर निर्भर है।

जिला कृषि अधिकारी रमेश लाल का कहना है गेहूं की फसल के लिए बारिश जरूरी है। जिले में गेहूं की बिजाई हो चुकी है। बारिश होने के बाद कुछ लोग आलू की फसल लगा सकते हैं। गेहूं की बिजाई से पहले खेतों में नमी हो तो फसल उगने तक पानी की अधिक जरूरत नहीं होती है, लेकिन करीब 35 दिन बाद फसल को पानी अवश्य मिलना चाहिए।

किसान राजकुमार ने कहा इन दिनों बारिश की काफी जरूरत है। यदि बारिश नहीं हुई तो काफी नुकसान होगा। बड़े किसानों से खेतों की सिंचाई के लिए संपर्क कर रहे हैं, ताकि फसल को नुकसान न हो।