हिमाचल : सीएम ने एनपीएस कर्मचारियों को दिया बड़ा झटका

उमेश भारद्वाज। मंडी

  • कहा: प्रदेश के वर्तमान हालात के चलते नहीं बहाल हो सकती ओल्ड पेंशन स्कीम
  • हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ के 5वें प्रांत अधिवेशन में सीएम जयराम ठाकुर ने दी जानकारी
  • एसएमसी शिक्षकों के स्थान पर नहीं होगी दूसरे शिक्षकों की नियुक्ति
    कहा- एसएमसी शिक्षकों के भविष्य के प्रति पूरी तरह से गंभीर है सरकार
  • शिक्षकों की सभी मांगों पर कमेटी बनाकर विचार करने की कही बात
  • बल्ह घाटी के डडौर में संपन्न हुआ प्रदेश शिक्षक महासंघ का प्रांत अधिवेशन
  • शिक्षा मंत्री गोबिंद सिंह ठाकुर भी रहे मौजूद
  • लेकिन शिक्षकों की किसी की मांग को मंच से पूरा करने से टले जयराम ठाकुर

 

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के मंडी दौरे के दौरान हिमाचल प्रदेश शिक्षा महासंघ के हाथ निराशा ही लगी है। जहां मंडी जिला की बल्ह घाटी के डडौर में आयोजित प्रदेश शिक्षक महासंघ के 5वें प्रांत अधिवेशन में बतौर मुख्यातिथि शिरकत कर रहे थे। वहीं इस दौरान अपनी मांगों की एक लंबी फहरिस्त लिए बैठे प्रदेश के शिक्षकों को खाली हाथ वापिस लौटना पड़ा। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्रदेश में पिछले लंबे समय से ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग कर रहे लाखों कर्मचारियों को भी एक बड़ा झटका दिया है। मुख्यमंत्री ने न्यू पेंशन स्कीम के तहत नियुक्त हुए कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम के लाभ देने से परहेज ही किया। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश की स्थिति खराब है और पूरे देश में एनपीएस लागू हो गई है। उन्होंने कहा कि ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करना संभव नहीं है। इसे लागू करने के लिए हजारों करोड़ का बजट चाहिए, जिसकी वर्तमान में गुंजाइश नहीं है।

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मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश भर में तैनात एसएमसी अध्यापकों की सेवाओं को जारी रखा जाएगा और उनके स्थान पर किसी भी अन्य शिक्षक को तैनाती नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि एसएमसी शिक्षकों की सेवाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और सरकार इनके बारे में पूरी तरह से गंभीर है। उन्होंने कहा कि पहले एमएससी शिक्षकों के स्थान पर अन्य शिक्षकों को तैनाती दे दी जाती थी जिससे उन पर रोजगार का संकट पैदा हो जाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं किया जाएगा,जिससे इस वर्ग पर कोई विपदा न आए।

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वहीं सीएम जयराम ठाकुर के समक्ष शिक्षक महासंघ ने अपनी जो भी मांगें रखी उनको लेकर सीएम ने मंच से कोई घोषणा नहीं की। उन्होंने मंच पर मौजूद शिक्षा मंत्री गोबिंद ठाकुर को एक कमेटी बनाकर शिक्षकों के सभी वर्गों को बारी-बारी बुलाकर बैठकें करके उनकी मांगों को सुनने और उन्हें सरकार के समक्ष रखने के निर्देश जरूर दिए। लेकिन शिक्षक कहीं न कहीं मंच से बड़ी घोषणा की आस लगाए बैठे थे। लेकिन ऐसा करने से सीएम ने परहेज ही किया।