साकी बताए या शराब, पर शोर तो है जनाब…

राजनीतिक संवादताता….

साकी बताए या शराब पर शोर तो है जनाब। यह शोर ही नहीं उठा है बल्कि उंगलियां भी उठ रही हैं और वह भी एक नेता पर। मामला शराब से जुड़ा है तो सबकी जुवां पर चर्चा लाजिमी है। एक-दो बोतल होती तो भी बात दूर तलक न जाती लेकिन बात पेटियों की है और वह भी पूरी 1900 पेटियों की। बिल्कुल जी ऊना जिला के झलेड़ा में जो झमेला हुआ है उसमें उंगली एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी के कद्दावर नेता पर उठ रही है। पुख्ता सबूत होता तो नेता से हम भी पूछ लेते शायद कुछ न नुकर करके जवाब का एक सिरा ही मिल जाता। लेकिन नेता के तार जुड़े होने के सबूत फिलहाल उसी तरह नहीं मिल रहे जिस तरह इन शराब की बोतलों पर हॉलमार्क नहीं मिला था। सरकारी सप्लाई के लिए हॉलमार्क लगाकर जो शराब बाजार में आनी थी वह बिना हॉलमार्क किस बाजार में जानी थी, इससे बड़ी चर्चा यह नेता कौन है इसपर हो रही है।

बात निकली है तो दूर तलक जाएगी और जानी भी चाहिए क्योंकि मसला शराब का नहीं राजनीति का भी है। अब तो यह विरोधी पार्टी के नेताओं का दायित्व बनता है कि इस मामले में बाकायदा नाम-पते सहित इन नेता जी को सार्वजनिक करें। यह सही मायने में नेताओं की परीक्षा का भी समय है क्योंकि अक्सर देखा जाता है कि ऐसे मसले पार्टियों में फ्रैंडली मैच की तरह समाप्त कर दिए जाते हैं। अब जो पार्टी जनता और प्रदेश की सच्ची हितैषी होगी उसका दायित्व है कि पक्ष-विपक्ष जो भी उसका दायित्व है उसे पूरी निष्ठा से निभाए और ऐसे नेताओं की हकीकत जनता के सामने लाए। करने को तो यह काम मीडिया भी कर सकता है लेकिन कुछ फर्ज तो नेताओं का भी बनता है और देखना यह है कि क्या नेता अपना फर्ज निभाते हैं या नहीं। इतना जरूर है कि यदि नेताओं ने अपना फर्ज नहीं निभाया तो मीडिया अपना फर्ज जरूर निभाएगा। अभी तो हम भी इंतजार कर रहे हैं कि साकी पहले बताएगा या शराब…