शीतला माता के दंगल में सुखमण ने किया गुर्ज़ के साथ बड़ी माली पर कब्जा

चैन गुलेरिया। ज्वाली

छिंज, दंगल,मेले हिमाचल की प्राचीन परंपरा है यह परंपरा मेल मिलाप का एक जरिया था जोकि आज भी जीवित है । बता दे कि 1940 के लगभग एक महान महापुरुष शिवदयाल ने माता शीतला के नाम पर इस दंगल का शुभारंभ किया था । उस जमाने में केवल गुड के प्रसाद पर ही कुश्तियां की जाती थी जोकि अब एक विशाल दंगल का रूप धारण कर गया ।

माता शीतला देवी की महिमा इतनी है कि किसी भी व्यक्ति के शरीर पर छोटे छोटे दाने निकलते है जोकि अति खतरनाक बीमारी है जिससे व्यक्ति की मृत्यु भी हो जाती है ऐसे रोग के व्यक्ति माता शीतला के दरबार में अपना मत्था टेकने पर ही सारा रोग छूं मंत्र हो जाता है । जिसकी महिमा को देखते हुए स्वर्गलोक में बैठी पवित्र आत्मा द्वारा चलाई परंपरा को जीवित रखने के लिए उस महान आत्मा के वंश व अन्य लोगों के सहयोग से  ज्वाली के अंतर्गत ढन गांव में एक विशाल दंगल का आयोजन किया गया जिसमें पूर्व मंत्री एवम पूर्व सांसद चौधरी चंद्र कुमार ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की ।

इस छोटे से गांव में माता शीतला के आशीर्वाद से हिमाचल के इलावा पंजाब, हरियाणा, जम्मू के नामी गिरामी पहलवान अपनी हाजरी दर्ज करवाते है ।इस दंगल के रेफरी संजय कुमार व कुश्ती सिलेक्टर सुरजीत पठानिया ने दंगल की मान मर्यादा को कायम रखा । इस दंगल का मुख्य मुकाबला सुखमण अजनाला और बबलू होशियारपुर के बीच हुआ जिसमें सुखमण अजनाला ने बबलू को पछाड़ कर बड़ी माली का खिताब अपने नाम दर्ज किया ।

सुखमण अजनाला को मुख्यतिथि चंद्र कुमार सहित कमेटी के सदस्यों ने गुर्ज व 11000 रूपये की धनराशि देकर सम्मानित किया और उपविजेता बबलू होशियारपुरिया को 10000रूपये देकर सम्मानित किया गया । मुख्यतिथी चंद्र कुमार ने निकटवर्ती राज्यों से आए पहलवानों का तह दिल से धन्यवाद किया और भविष्य में भी माता शीतला के दंगल की शोभा बढ़ाने के लिए पहलवानों से अपील की ।

इस मौके पर कमेटी प्रधान सुभाष चंद, प्रकाश चंद, पवन कुमार,ओंकार सिंह ,प्रभात चंद, रविंद्र कपिला, सुभाष धवन, ओम प्रकाश, नारायण दास, विवेक कुमार, रवि कुमार, मान सिंह, प्रदीप कुमार, विजय कुमार, विनय चौधरी, बाबू राम, हंस राज, देस राज, जोगिंदर सिंह, दर्शन कुमार इत्यादि मौजूद रहे ।