समाज में गिरता लिंग अनुपात एंव कन्या भ्रूण हत्या चिंता का विषय : अशोक कौशल

एमसी शर्मा। नादौन

स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण विभाग खंड नादौन के सौजन्य से अंतराराष्ट्रीय महिला दिवस जागरूकता अभियान की कड़ी में गांव टिल्लू में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर खंड चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अशोक कौशल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च 1911 से मनाया जा रहा है और आज 110 बर्षों बाद भी समाज में गिरता लिंग अनुपात एंव कन्या भ्रूण हत्या चिंता का विषय है। आज भी बहुत से लोग बेटी के पैदा होने पर मातम मनाते हैं, जबकि बेटा पैदा होने पर खुशियां मनाई जाती हैं, जबकि अगर बेटियों को सही शिक्षा एवं अच्छा माहौल प्रदान किया जाए, तो बेटीयां किसी भी तरह से बेटों से कम नही होती है, जिसका इतिहास भी गवाह है।

वहीं, खंड स्वास्थय शिक्षक राम प्रसाद शर्मा ने भी अपने संबोधन में कहा कि समाज के सभी वर्गों को भ्रूण के लिंग का पता लगाने‚ कन्या भ्रूण हत्या और गर्भधारण पूर्व लिंग चयन की बुराईयों को समाप्त करने के लिए आगे आना चाहिए और अपने दायित्व का निर्वहन करना चाहिए। बढ़ती कन्या भ्रूण हत्या से महिलाओं के अनुपात में लगातार कमी आ रही है तथा अल्ट्रासाउंड जैसी तकनीक और गर्भपात की सर्वव्यापक सुविधाओं ने ज्यादा कन्या भ्रूणों को मौत के घाट उतारने का अवसर उपलब्ध करा दिया है।

अनुमान है कि 1979 में पहला अल्ट्रासाउंड क्लीनिक शुरू होने से आजतक लगभग 10 मिलियन कन्याओं को गर्भ में जांच करवाकर मारा जा चुका है। लगभग 70 प्रतिशत महिलाओं को अपने नजदीकि रिश्तेदारों से प्रताड़नाएं झेलनी पड़ती हैं। यही नहीं हम सभी बात तो करते हैं नारी सम्मान की‚नारी को इज्जत देने की तथा समाज में उसे हर क्षेत्र में बराबर का हक़ दिलवाने की‚ लेकिन जब हम बेटी को पैदा ही नहीं होने देंगे, तो उसे नारी के रूप में सम्मान देने और हक देना, तो बहुत दूर की बात है।

आज इस बात को समझने की आवश्यकता है कि दोनों में किसी के भी लिंग अनुपात में कमी आ जाने से पैदा होने वाला असंतुलन हमारे मौजूदा सामाजिक और मानवीय ताने-वाने को तहस-नहस कर सकता है। अतः आज जरूरत इस बात की है कि पुत्र मोह एंव दहेज़ मोह त्याग कर नारी शिक्षा पर ध्यान देकर वास्तब में एक स्वस्थ समाज का निर्माण करने में अपना सहयोग करना चाहिए, तभी हम सच्चे अर्थों में महिला दिवस मना पाऐंगे।