मच्छयाल के अस्थाई पुल के लिए विभाग ने मंगाए नए स्लीपर

जतिन लटावा। जाेगिंद्रनगर

जिला परिषद सदस्य तथा हिमाचल किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष कुशाल भारद्वाज के लगातार दबाव व किसानसभा के आंदोलन के बाद मच्छयाल के अस्थाई पुल के लिए लोक निर्माण विभाग को आखिर लकड़ी के नए स्लीपर मंगवाने ही पड़े हैं। उल्लेखनीय है कि जिला परिषद सदस्य कुशाल भारद्वाज ने मच्छयाल में गिराए गए पुराने ट्रैफिक ब्रिज की जगह आए पुल का निर्माण कार्य शीघ्र शुरू करने तथा इस समय पर तैयार करने की मांग को प्रमुखता से उठाया था। उन्होंने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से बार-बार इस बारे मुलाक़ात की तथा जिला परिषद की बैठक में इस मुद्दे पर विभाग के साथ-साथ प्रदेश सरकार को भी आड़े हाथों लिया था।

इस मुद्दे पर उन्होंने मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा था तथा ज्ञापन भी सौंपा था। उन्होंने हर स्तर पर इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि पुराने पुल को तोड़े 6 महीने से भी ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन लोक निर्माण विभाग ने नए पुल का निर्माण कार्य शुरू नहीं किया है, जिससे लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। उनका कहना था कि जो अस्थाई पुल बनाया गया है, वह सुरक्षित नहीं है तथा उसमें जो लकड़ी के स्लीपर बिछाए गए हैं, वे भी बहुत पुराने हैं। पहले भी उस पुल की लकड़ी टूट गई थी और जिस दिन जलशक्ति मंत्री का क्षेत्र में चुनावी दौरा था, उससे एक दिन पहले ही क्षतिग्रस्त लकड़ी को बदला गया। उनका कहना था कि विभाग को मंत्रियों की सुरक्षा की तो चिंता रहती है, लेकिन जो हजारों लोग हर दिन इस पुल से वाहनों में या पैदल आते-जाते हैं, उनकी सुरक्षा की कोई चिंता ही नहीं है।

इस अस्थाई पुल के ऊपर से कोई वाहन गुजरता है, तो पुल की लकड़ी से खड़खड़ाहट की इतनी तेज आवाज आती है कि आस- पास रहने वाले लोग, दुकानदार और राहगीर भी बहुत परेशान हो जाते हैं। हालत यह है कि रातों को सोना भी मुश्किल हो गया है। कुशाल भारद्वाज ने बार बार अधिकारियों को और सरकार को बताया कि गली सड़ी लकड़ी की मुरम्मत करने से कुछ नहीं होगा, इसलिए इस पुल की सारी पुरानी लकड़ी बदली जाए, जबकि विभाग का तर्क था कि पुरानी लकड़ी को ही क्लेंप्स से बांधकर इसकी आवाज को कम कर दिया जाएगा, लेकिन स्थानीय जिला परिषद सदस्य ने हर स्तर पर इसके लिए संघर्ष किया तथा जिला परिषद की बैठक में भी सदन में इस मुद्दे को उठाया था।

इसके बाद स्थानीय किसानों को लामबंद कर मच्छयाल में प्रदर्शन भी किया था। इसी का नतीजा है कि विभाग व सरकार को उनकी बात सुननी पड़ी तथा ज्ञात हुआ है कि कोलकाता से लकड़ी के 60 से अधिक स्पेशल स्लीपर मंगवाए गए हैं, जो कि जोगिंदर नगर के भट्टा सैक्शन में पहुंच भी गए हैं। कोलकाता और महाराष्ट्र से यू क्लैंप्स और अन्य सामग्री भी मंगवा ली गई है तथा जल्दी ही पुल की लकड़ी बदलने का कार्य शुरू हो जाएगा।

जनता के मुद्दे पर लगातार विभाग और सरकार पर दबाव बना कर मांग पूरा करवाने के लिए स्थानीय जनता के साथ-साथ इस पुल से गुजरने वाले असंख्य लोगों व वाहन चालकों ने भी जिला परिषद सदस्य कुशाल भारद्वाज का धन्यवाद किया है। स्थानीय पंचायत वासी भीम सिंह चौधरी, प्रदीप कुमार, पवन चौधरी, ध्यान सिंह, प्रकाश चंद, सुरेश कुमार, राजेश कुमार, इन्दिरा देवी, मीना देवी व नीमा देवी के अलावा स्थानीय दूकानदारों, टैक्सी चालकों व महिला मंडलों ने भी उनका धन्यवाद किया है तथा आशा कि है कि जल्दी ही पुल की लकड़ी बदल कर आस-पास के लोगों और राहगीरों को राहत मिलेगी।

वहीं, जिला परिषद सदस्य कुशाल भारद्वाज ने कहा कि इस उपलब्धि का सारा श्रेय जनता की एकजुतता को जाता है। उनके सहयोग और संघर्ष से ही यह संभव हो पाया है, अन्यथा लोक निर्माण विभाग नई लकड़ी लगवाने को बिलकुल तैयार नहीं था। संघर्ष में जनता की एकजुतता के कारण ही विभाग को नागदयाड़ा नाला पर वैकल्पिक लिंक निकालना पड़ा तथा जनता के संघर्ष और एकजुटता के दबाव से ही छाम्ब-मनारु सड़क को वन विभाग की तरफ से क्लीयरेंस मिल गई है। उन्होंने समस्त जनता से आग्रह किया है कि आगे भी अपनी मांगों को लेकर वे ऐसी ही एकजुटता का परिचय दें।