प्रदेश में विकास मॉडल बन सकता है विनाश का कारणः गुमान सिंह

उज्ज्वल हिमाचल। शिमला

हिमाचल प्रदेश में बरसात से भारी तबाही हुई है। बारिश से 481 लोगों की जान चली गई। इस नुकसान को प्राकृतिक आपदा का नाम दिया जा रहा है लेकिन इसमें सरकारों की नीतियों और लोगों की भूमिका को जानकर तथा कथित विकास के मॉडल में बदलाव की जरूरत है। यह बात आज शिमला में हिमालय नीति अभियान संस्था ने कही है। हिमालय नीति के समन्यवक गुमान सिंह ने कहा कि हिमाचल में विकास का जो मॉडल अपनाया जा रहा है इसे समय रहते बदला न गया तो यह विनाश का कारण बनेगा। उन्होंने कहा कि यह नुकसान बारिश से नहीं हुआ बल्कि जो अवेध डंपिग नदी नालों की गई है। उससे ज्यादा नुकसान हुआ।

यह भी पढ़ेंः कम उम्र के लोगों में बढ़ रहा हृदय रोगः डॉ. मुकुल

पहाड़ों की गलत कटिंग से हुआ ज्यादा नुकसान

उन्होंने कहा कि एनएचएआई ने सड़को का निर्माण जिस तरह से किया है। पहाड़ों की गलत कटिंग से ज्यादा नुकसान हुआ है। इस लापरवाही से सैंकड़ों लोगों को नुकसान उठाना पड़ा है। एनएचएआई पर एफआईआर होनी चाहिए। पौंग डेम से जिस तरह से पानी छोड़ा गया उससे बहुत नुकसान हुआ इसके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वह राज्यपाल से मिले हैं और राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की। वह मुख्यमंत्री से मिलकर 55 सूत्रीय सुझाव पत्र देंगे। ऐसे में भाजपा कांग्रेस को राजनीति का खेल न खेलकर प्रदेश को पटरी पर लाने के लिए काम करने की जरूरत है।

प्रभावितों को फॉरेस्ट कंजरवेशन एक्ट में बदलाव कर सरकारी भूमि दी जानी चाहिए

आपदा में जिन लोगों के घर चले गए हैं उनको फॉरेस्ट कंजरवेशन एक्ट में बदलाव कर सरकारी भूमि दी जानी चाहिए। यह आपदा प्राकृतिक नही बल्कि मानव जनित है। प्रदेश में जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार काम होना चाहिए। इसमें लोगों की राय ली जानी चाहिए। हिमाचल में एक समान विकास मॉडल नहीं अपनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पहाड़ों में फोरलेन की जरूरत है या डबल लेन ही काफी हैं इस पर विचार की जरूरत है। हिमालय में विकास का मॉडल क्या हो इसके लिए काम होना चाहिए। उन्होंने शिमला डेवलपमेंट प्लान 2041 को वापिस लेने की मांग की है। यह धंसते शिमला के वजूद को बचाने के लिए जरूरी है।

ब्यूरो रिपोर्ट शिमला

हिमाचल प्रदेश की ताजातरीन खबरें देखने के लिए उज्जवल हिमाचल के फेसबुक पेज को फॉलो करें