मंदिर में काेराेना प्रोटोकॉल के तहत किए श्रद्धालुओं ने दर्शन

सुरिंद्र जम्वाल। बिलासपुर

एक ओर जहां देशभर में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम देखने को मिल रही है, तो वहीं देवभूमि हिमाचल प्रदेश में इस खास पर्व पर कोरोना का असर देखने को मिल रहा है। जी हां बात करें बिलासपुर की तो कोरोना की तीसरी लहर की संभावनाओं को देखते हुए कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर आयोजित होने वाली भागवत कथा, शोभा यात्रा, लंगर व मटकी फोड़ कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाया गया है, ताकि भीड़-भाड़ की स्थिति पैदा न हो सके। वहीं, इस बार प्राचीन लक्ष्मी नारायण मंदिर में भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए हैंड सेनेटाइजर की व्यवस्था की गई है, तो बिना मास्क के श्रद्धालुओं के प्रवेश को वर्जित किया गया है।

साथ ही मंदिर के अंदर एक बारी में 20 श्रद्धालुओं को ही जाने की अनुमति दी गई है, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा जा सके। वहीं, श्रद्धा व आस्था के इस अटूट पर्व पर श्रद्धालु भी कोरोना के प्रति अपनी जागरूकता को दिखाते हुए मास्क पहनकर, सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बाल रूपी श्री कृष्ण के दर्शन कर अपने परिवार की सुख समृद्धि की कामना कर रहे है। वहीं, लक्ष्मी नारायण मंदिर के न्यासी महिपाल सांख्यान ने कहा कि बीते वर्षाें की तुलना में इस बार कृष्ण जन्माष्टमी बहुत ही साधारण तरीके से मनाई जा रही है।

इसके चलते जिला प्रशासन के आदेशों का पालन करते हुए शोभा यात्रा, लंगर, मटकी फोड़ जैसे सार्वजनिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगया गया है और केवल मंदिर परिसर में ही पूजा-अर्चना की व्यवस्था की गई है। वहीं मंदिर के पुजारी बाबूराम शर्मा का कहना है कि कोविड प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखते हुए बिना किसी वस्तु को स्पर्श किए भक्तों को मंदिर में आने की अनुमति दी गई है, ताकि कोरोना की तीसरी लहर को आने से रोका जा सके और देश कोरोना वायरस से सुरक्षित रह सके।