धान की खेती के लिए किसानों को एडवाइजरी जारी

उमेश भारद्वाज। सुंदरनगर

हिमाचल प्रदेश कृषि विभाग के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने धान की खेती के लिए किसानों को एडवाइजरी जारी की है। वैज्ञानिकों ने मध्यम पर्वतीय क्षेत्रों (650 से 1500 मीटर) में सिंचित परिस्थितियों के लिए धान की अनुमोदित किस्मों एचपीआर 2143, एचपीआर 1068, पालम बासमती 1 (एचपीआर 2612), पालम लाल धान 1 (एचपीआर 2720) व हिम पालम धान 2 (एचपीआर 2880) तथा संकर किस्मों में 1000 मीटर से नीचे के क्षेत्रों के लिए एराइज 6129, एराइज स्विफ्ट व कृषि विश्वविद्यालय द्वारा अन्य अनुमोदित व परीक्षण की गई किस्मों की नर्सरी की बिजाई 20 मई से जून के पहले सप्ताह तक पूरी करने की सलाह दी है।

उन्होंने बताया कि 25-30 दिनों की पौध तैयार होने पर ही उसकी रोपाई करें। बासमती धान की खेती के लिए रोग प्रतिरोधी किस्मों कस्तूरी और एचपीआर 2612 का प्रयोग करें। देर से बिजाई की परिस्थिति के लिए भी कम अवधि में पकने वाली किस्म एचपीआर 2612 का चयन किया जा सकता है। उन्होंने ऊंचे ठंडे क्षेत्रों में भृग ुधान और वरुण धान किस्मों को लगाने का आग्रह किया है।

वैज्ञानिकों ने बारानी परिस्थितियों में सीधी बिजाई द्वारा 650 से 1300 मीटर ऊंचाई वालेे क्षेत्रों के लिए धान की हिम पालम धान 1 (एचपीआर 2656), हिम पालम लाल धान 1 (एचपीआर 2795), एचपीआर 1156 व वीएल 221 किस्मों को लगाने की सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि बिजाई के लिए प्रर्याप्त नमी सुनिश्चित करें और पहली बारिश के होते ही बिजाई कर दें। वैज्ञानिकों ने बताया कि स्वस्थ बीज ही स्वस्थ फसल उत्पादन का आधार है।

अतः बिजाई से पूर्व बीज को 100 ग्राम नमक प्रति लीटर पानी के घोल में डालकर हिलाएं। ऐसा करने से हल्के बीज पानी के उपर आने पर उन्हें बाहर निकाल दें और नीचे बैठे बीजों को साफ पानी में धोकर व सुखाकर बीज के लिए प्रयोग करें। इसके अतिरिक्त सूखे बीजों को 2.5 ग्राम बैवीस्टीन प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करने के उपरांत ही बिजाई करें। उन्होंने किसानों से यह भी आग्रह किया है कि खेती के कार्य करते समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अवश्य करें।