‘डिजिटल’ पेमेंट की वजह से घटा चेक से खुदरा भुगतान

उज्जवल हिमाचल। नई दिल्ली

वित्त वर्ष 2016-17 में यह आंकड़ा घटकर क्रमश: 11.18 फीसद और 36.79 फीसद पर आ गया। रिजर्व बैंक के अनुसार अगले साल यह आंकड़ा और घटकर मूल्य के हिसाब से 7.49 फीसद और मात्रा के हिसाब से 28.78 फीसद पर आ गया। वहीं, 2018-19 में यह और घटकर क्रमश 4.60 फीसद और 22.65 फीसद पर आ गया। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2015-16 से 2019-20 के दौरान मात्रा के हिसाब से डिजिटल भुगतान सालाना आधार पर 55.1 फीसद की बढ़ोतरी के साथ 593.61 करोड़ से 3,434.56 करोड़ पर पहुंच गया।

डिजिटल भुगतान और समाधान प्रणाली को तेजी से आगे बढ़ाने के सकारात्मक नतीजे सामने आने लगे है। भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन की वजह से बीते वित्त वर्ष 2019-20 में चेक के जरिये खुदरा भुगतान का आंकड़ा काफी नीचे आ गया है। आंकड़ों के अनुसार, बीते वित्त वर्ष में मात्रा के हिसाब से कुल खुद भुगतान में चेक समाशोधन (क्लियरिंग) का हिस्सा घटकर मात्र 2.96 फीसद रह गया।

हालांकि, मूल्य के हिसाब से यह 20.08 फीसद रहा। वित्त वर्ष 2015-16 में नोटबंदी के बाद केंद्रीय बैंक ने डिजिटल भुगतान को काफी तेजी से आगे बढ़ाना शुरू किया था। उस समय खुदरा भुगतान में मात्रा के हिसाब से चेक का हिस्सा 15.81 फीसद और मूल्य के हिसाब से 46.08 फीसद था। डिजिटलीकरण के प्रयास कितने सफल रहे हैं, इसका अनुमान ताजा आंकड़ों से लगता है। 2015-16 में चेक के जरिये भुगतान का मात्रा के हिसाब से 15.81 फीसद और मूल्य के हिसाब से 46.08 फीसद हिस्सा था।

वहीं, मूल्य के हिसाब से यह 920.38 लाख करोड़ रुपए से 1,623.05 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इसमें सालाना आधार पर 15.2 फीसद की वृद्धि दर्ज हुई। वित्त वर्ष 2016-17 में डिजिटल भुगातन 593.61 करोड़ से 969.12 करोड़ पर पहुंच गया। मूल्य के हिसाब से यह इस दौरान 1,120.99 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

इसके बाद 2017-18 में यह मात्रा के हिसाब से 1,459.01 करोड़ पर और मूल्य हिसाब से 1,369.86 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया। बाद में इसमें और तेज वृद्धि हुई और 2018-19 में यह मात्रा के हिसाब से 2,343.40 करोड़ और मात्रा के हिसाब से 1,638.52 लाख करोड़ रुपए पर
पहुंच गया।