प्रस्तावित बिजली संशोधन विधेयक के खिलाफ खोला मोर्चा

एमसी शर्मा। नादौन
हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड कर्मचारी यूनियन ने कर्मचारियों एवं अभियन्ताओं के राष्ट्रीय समन्वय समिति के आह्वान पर प्रस्तावित बिजली संशोधन विधेयक 2020 के विरोध में पूरे प्रदेश में मण्डल व वृत स्तर पर विरोध प्रदर्शन किए। इस अवसर  पर नादौन में कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह खरवाड़ा ने कहा कि देश के 11 राज्यों व एक केन्द्र शासित प्रदेश पांडिचेरी ने इस संशोधन विधेयक को उपभोक्ता विरोधी बताते हुए इसे लागू न करने के पक्ष में केन्द्र सरकार को अपनी राय दी है। लेकिन केन्द्र सरकार प्रस्तावित संशोधन विधेयक को संसद के मानसून सत्र में पारित करवाने की फिराक में है।
उन्होंने कहा कि इस संशोधन विधेयक का मकसद बिजली वितरण क्षेत्र को निजी हाथों में सौंप कर बड़े औधोगिक घरानों को फायदा पहुंचाना है। जबकि इस के अस्तित्व में आने से गरीब व मध्यम घरेलू और कृषि क्षेत्र के उपभोक्ताओं को कई गुणा ज्यादा बिजली बिलों की मार झेलनी पड़ेगी और बिजली क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों के सेवाशर्तों व सेवानिवृति के लाभों पर भी निश्चित तौर पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। खरवाड़ा ने कहा कि देश की आज़ादी के बाद बिजली के साथ-साथ कोल, पैट्रोल, गैस, रिफाईनरी, रेलवे, पथ-परिवहन, हवाई सेवाओं, बेंकिंग, इन्शयोरेन्स, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा उत्पादों जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के माध्यम से निभाने का जिम्मा लिया था। लेकिन आज 65-70 साल के बाद इन तमाम जिम्मेदारियां को निजी क्षेत्र के भरोसे छोड़ने के लिए सरकारी कम्पनियों व भारत रत्नों की निलामी ऐसे बड़े औधोगिक घरानों को की जा रही है, जिनका मकसद कामगारों को कम से कम वेतन दे कर महंगे उत्पाद बेचकर भारी भरकम मुनाफा कमाना होता है जबकि देश की जनता के प्रति इनकी कोई जबावदेही नहीं होती है।
इस बात की कोई गारंटी नहीं कि देश का कौन सा उद्योगपति कब देश का हजारों करोड़ रूप्या गोलमाल कर विदेश भाग जाए, इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। उन्होंने कहा कि सरकार निजी कम्पनियों का दिवालिया देने वाले कई उद्योगपतियों का हजारों करोड़ रूप्या बट्टे खाते में डाल चुकी है, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र को बदनाम करके बुरा-भला कह करके निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। खरवाड़ा ने कहा कि केन्द्र सरकार बिजली समेत तमाम सरकारी उधमों का निजीकरण करके अपनी जिम्मेदार से भागने का प्रयास न करे बल्कि जनता के प्रति जिम्मेदारियों का उत्रदायित्व अपने उपर लें। खरवाड़ा ने कहा कि बिजली क्षेत्र का तमाम कर्मचारी व इंजीनियर इस काले कानून के खिलाफ पूरे देश में उग्र आन्दोलन करेगा।