विद्युत बोर्ड कर्मचारी यूनियन ने कर्मियाें कि घटती संख्या पर जताई चिंता

एमसी शर्मा। नादौन

हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड कर्मचारी यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप खरवाड़ा ने कहा है कि कर्मचारियों की रिटायरमेंट की पतझड़ लगी है, जिससे स्टॉफ कम होता जा रहा है। काम का बोझ बढ़ता जा रहा है, लेकिन रिटायरमैंट के मध्यनजर नई भर्ती न हो पाने की वजह से विद्युत आपूर्ति को सुचारू बनाए रखने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि आंधी-तूफान की वजह से लाईनें टूट जाने पर देर रात तक काम करना पड़ रहा है और बिजली चालू न हो पाने की स्थिति में कर्मचारियों को जनता के कोप का भाजन भी बनना पड़ रहा है।

उन्होंने बताया कि विद्युत बोर्ड लिमिटिड द्वारा 11 अगस्त, 2017 को चीफ इंजीनियर सैंटर जोन मंडी की अध्यक्षता में नई भर्ती के लिए नए नियम बनाने के लिए 8 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था, जिसकी रिपोर्ट जून, 2018 में बोर्ड को सौंप दी गई। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सन् 1991 के अंदर बिजली बार्ड में उपभोक्तओं की संख्या 1008336 थी, जबकि आज यह संख्या 22 लाख को पार कर चुकी है। कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक विद्युत बोर्ड लिमिटिड में सन् 1991 के मुकाबले छोटी-बड़ी लाईनों की संख्या में 209.4 प्रतिशत की ढांचा गत वृद्धि हुई है।

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केवल आप्रेशन विंग में 2006 के नियमों के मुताबिक फील्ड में 19686 तकनीकी कर्मचारियों की जरूरत है, लेकिन कमेटी ने नये फार्मूलों के मुताबिक फील्ड में 14130 तकनीकी कर्मचारी मुहैया करवाने की सिफारिश की है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में संचार और उत्पादन विंग में भी तकनीकी कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि करने की सिफारिश की है।

कार्यालयों के कार्यां को सुचारू रूप से चलाने, बिल वितरण और राजस्व उगाही के लिए तथा विद्युत उपकेंद्राें के संचालन के लिए अतिरिक्त स्टाफ मुहैया करवाने की सिफारिश की है, लेकिन कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की बजाय बोर्ड प्रबंधन ने अपने स्तर पर 29 जून, 2020 को संचार विंग की लाईनों व उपकेंद्राें के रख-रखाव के लिए जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक जेई सब स्टेशन, फोरमैन, फोरमैन स्पैशल, फीटर तथा अन्य चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पदों को कम किया गया है, जो कि अपने आप में विरोधाभासी है।

उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकार और बोर्ड प्रबंधन स्टाफ कम करना चाहती है, तो बड़े अफसरों की फौज को कट लगाए, इनके कम होने से बोर्ड का काम चल सकता है, लेकिन कर्मचारियों की कमी के चलते काम चलाना संभव नहीं है। यूनियन ने इस अधिसूचना का कड़ा विरोद्ध किया है और इस अधिसूचना को वापस लेने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि विद्युत बोर्ड लिमिटिड में लाईनों के उचित रख-रखाव और बिल वितरण व राजस्व उगाही जैसे कार्यां के लिए आउटसोर्स कर्मचारियों के उपर निर्भर करना पड़ रहा है, लेकिन विद्युत बोर्ड लिमिटिड में एक दर्जन से अधिक आउटसोर्स कर्मचारी विभिन्न दुर्घटनाओं में मारे जा चुके हैं या शारीरिक तौर पर अपाहिज हो चुके हैं, लेकिन स्थायी नीति न होने की बजह से इन परिवारों को किसी किस्म का मुआवजा या अनुकंपा के आधार पर नौकरी का प्रावधान नहीं किया गया है।

वहीं, सर्विस प्रोवाईडर इन कर्मचारियों को न्यूनतम दिहाड़ी से कम वेतन देते हैं और ईपीएफ और ईएसआई फंड तक इन के खाते में जमा नहीं करवाते हैं। उन्होंने बताया कि यूनियन द्वारा र्प्याप्त सबूतों के साथ विद्युत बोर्ड के प्रबंधक से उचित कार्यावाही करने की मांग की है, लेकिन इसके बावजूद ऐसे घोटालेबाज सर्विस प्रदाताओं के खिलाफ कोई एफआईआर तक दर्ज नहीं हो पाई है, बल्कि बोर्ड प्रबंधन इनका बचाव कर रहा है और इन्हीं सर्विस प्रदाताओं को पिछले ढ़ेड साल से एक्सटेंशन दी जा रही है। उन्होंने कहा कि यूनियन घोटालेबाज सर्विस प्रदाताओं के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने, कर्मचारियों के लूटे गए पैसों का एकमुश्त भुगतान करने, बिजली बोर्ड में अतिशीघ्र कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर स्टाफ मुहैया करवाने की मांग करती है।

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