‘आप’ पार्टी ने गड़बड़ाती शिक्षा व्यवस्था के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार

उज्जवल हिमाचल। कांगड़ा

आम आदमी पार्टी की हिमाचल प्रदेश इकाई ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए वर्तमान सरकार को कटघरे में खड़ा किया है और निजी शिक्षण संस्थाओं के पक्ष में कार्य करने का आरोप लगाया है। इसका ताजा उदाहरण राज्य सरकार द्वारा फ़ीस वसूली संबंधी 27 जून, 2020 को जारी अधिसूचना को वापस लेना है, जिसके चलते निजी स्कूलों को लॉकडाउन अवधि की पूरी फीस वसूलने की परोक्ष रूप से अनुमति दी है।

आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता कल्याण भंडारी ने प्रेस के नाम जारी बयान में कहा कि जयराम ठाकुर सरकार सूबे के तीन हजार स्कूलों के मालिकों के दवाव केआगे झुक गई और छह लाख स्कूली छात्रों व लगभग दस लाख अभिभावकों के हितों को अनदेखा कर दिया। ऐसे में राज्य सरकार का निजी स्कूलों के प्रति मोह जगजाहिर हो चुका है। ध्यातव्य है कि वर्तमान सरकार के लचर रवैये की वजह से गड़बड़ाती शिक्षा व्यवस्था के कारण प्रदेश के बच्चों का पलायन निजी स्कूलों की तरफ़ बढ़ रहा है।

कल्याण भंडारी ने जानकारी सांझा करते हुए बताया कि वार्षिक शिक्षा स्तिथि रिपोर्ट (असर रिपोर्ट) 2020 के अनुसार वर्ष 2018 में जहां लड़कों की सरकारी स्कूलों में तादाद 58.8 प्रतिशत तथा प्राइवेट स्कूलों में 41.2 प्रतिशत थी, वहीं वर्ष 2020 में यह क्रमशः घटकर 52.3 प्रतिशत व निजी स्कूलों में बढ़कर 47.7 प्रतिशत हो गई। लड़कियों की संख्या जो वर्ष 2018 में सरकारी स्कूलों में 64.9 प्रतिशत थी, वो घटकर 2020 में 62.9 प्रतिशत हो गई, जबकि निजी स्कूलों में बढ़ोतरी दर्ज हुई। प्रदेश में उच्च शिक्षा की स्थिति भी चिंताजनक है।

निजी विश्वविद्यालयों समेत प्रदेश में 22 यूनिवर्सिटी में कुल शिक्षार्थियों की संख्या 23000 है, जबकि 35000 के करीब विद्यार्थियों ने दूसरे राज्यों का रुख किया है। दस यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर तथाकथित रूप से अयोग्य करार दिए गए हैं और एक विश्वविद्यालय पर कथित रूप से जाली डिग्रीयां बेचने का आरोप लगा है।

ऐसे में भाजपा और कांग्रेसी नेताओं का राज्य को शिक्षा-हब बनाने के दावों की पोल खुल चुकी है। नतीजतन युवा पीढ़ी निराश एवं आक्रोशित हो गई है। आम आदमी पार्टी हिमाचल प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को दिल्ली मॉडल की तर्ज पर पटरी पर लाने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ मैदान में उतरेगी, जिसके लिए जनजागरण अभियान चलाया जाएगा।