कांगड़ा में सोमवार और शुक्रवार को खुल सकेंगी स्टेशनरी की दुकानें, आठ से 11 बजे तक का ही रहेगा समय

उज्जवल हिमाचल। धर्मशाला

कांगड़ा में कल 28 मई से सभी पुस्तकों और स्टेशनरी की दुकानों को प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार को प्रात: 8 बजे से 11 बजे तक खोलने की अनुमति दी जाएगी हालांकि उन्हें कोविड सुरक्षा प्रोटोकॉल और दिशानिर्देशों की कड़ाई से अनुपालना करनी होगी। डीसी कांगड़ा ने यह जानकारी दी है। उपायुक्त राकेश प्रजापति ने कहा कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार कोरोना कफ्र्यू को 31 मई की सुबह 6 बजे तक बढ़ाया गया है और इस संबंध में सभी छूट और प्रतिबंध पहले की तरह ही प्रभावी रहेंगे। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त जिला में प्रवासी और स्थानीय मजदूरों के रोजगार को देखते हुए हार्डवेयर की दुकानों को भी मंगलवार और शुक्रवार को प्रात: 8 से 11 बजे तक खुलने की अमुमति दी गई है। जिससे लोग अपने निर्माण कार्य सुगमता के साथ करवा सकें और मजदूर वर्ग का रोजगार भी चलता रहे और उन्हें जिला से प्रवास भी न करना पड़े।

उपायुक्त कांगड़ा राकेश कुमार प्रजापति ने आज यहां कहा कि यह एक स्थापित तथ्य है कि कोविड-19 पॉजिटिव रोगी से दूसरे व्यक्ति में व्यक्तिगत संपर्क या हवा के माध्यम से बहुत तेज दर से फैलता है और इसलिए इसके प्रसार का मुकाबला करने के लिए व्यक्तिगत संपर्कों को कम करने की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि कोविड पॉजिटिव मामलों में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए और बड़े पैमाने पर व्यक्तिगत व सामाजिक संपर्कों को कम करने के लिए जिला में कोरोना कफ्र्यू लगाने का निर्देश दिये गये हैं। उपायुक्त ने कहा कि कोरोना कफ्र्यू के दौराना यह देखने में आया कि घर पर ऑनलाईन पढ़ाई कर रहे बच्चों को काफी तनाव का सामना करना पड़ रहा है। इसको देखते हुये सभी शिक्षण संस्थानों को पहले ही कक्षा 5 तक के विद्यार्थियों को केवल 2 घंटे की ऑनलाईन पढ़ाई करवाने के निर्देश जारी किए गए हैं जबकि छठी से आठवीं तक की कक्षाओं के लिए चार घंटे की अवधि तय की गई है। उन्होंने कहा कि इससे जहां छोटे बच्चे अपनी पढ़ाई भी कर सकेंगे वहीं घरों पर रहते हुए ही अपनी रूचि अनुसार अन्य गतिविधियों की तरफ भी ध्यान दे सकेंगे। उन्होंने समस्त जिला वासियों से आग्रह किया कि वे बिना वजह घरों से न निकलें तथा बार-बार हाथ धोने और मास्क का प्रयोग करना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने कोरोना जागरूकता के लिये पारंपरिक माध्यमों का भी सहारा लिया है और लोक कलाकारों के माध्यम से कोविड जागरूकता का संदेश ग्रामीण स्तर तक पहुंचाया जा रहा है।