नेत्रदान पर जागरूकता शिविर का आयोजन

एमसी शर्मा। नादौन

स्वास्थय एवं परिवार कल्याण विभाग खंड नादौन के सौजन्य से नागरिक अस्पताल नादौन में नेत्रदान जागरूकता अभियान की कड़ी में नेत्रदान विषय पर एक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर खण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉ. अशोक कौशल तथा खंड स्वास्थ्य शिक्षक राम प्रसाद शर्मा ने उपस्थित स्वास्थ्य कर्मियों को नेत्रदान व आंखों की देखभाल के बारे में संयुक्त रूप से जानकारी दी। उन्होंने उपस्थित स्वास्थ्यकर्मीयों को संबाेधित करते हुए कहा कि कि हमारे देश में पिछले कई वर्षों से राष्ट्रीय नेत्रदान पखबाड़ा मनाया जाता है, लेकिन आज भी नेत्रदान की संख्या बहुत कम है।

भारत में करीब 25 लाख मरीज कार्निया के रोगों से पीड़ित हैं, जो नेत्रदान से प्राप्त आंख की बाट जोह रहे हैं। इसमें प्रतिबर्ष करीव 20 हजार दृष्टिहीनों की संख्या जुड़ती जा रही है। इनमें से काफी लोग दुसरों के मरणोपरांत नेत्रदान से लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने वताया कि आमतौर पर नेत्रदान के संबंध में अधिक जानकारी आम नागरिकों को नहीं है या फिर लोग अंधविश्वास के कारण भी नेत्रदान से संकोच करते हैं, जबकि हर स्वस्थ व्यक्ति जिसकी आंखें सही सलामत हैं, वह नेत्रदान हेतु एक शपथपत्र जो कि सरकारी अस्पतालों व निजी नेत्र बिशेषज्ञों के पास उपलब्ध होता है, भर कर नेत्रदान कर सकता है।

ऐसे व्यक्ति जो वायरल हिपेटाईटिस, पीलिया, यकृत रोग, रक्त कैंसर, मस्तिष्क ज्वर व एड्स आदि से संक्रमित हों उनके नेत्र नहीं लिए जाते हैं। अप्राकृतिक मौत, एक्सीडेंट आदि की हालत में मजिस्ट्रेट की अनुमति से भी नेत्र ग्रहण किए जा सकते हैं। एैसे दृष्टीहीन व्यक्ति जिनकी आंखों का कार्निया किसी बैक्टीरिया, वायरल संक्रमण, दुर्धटना, रासायनिक पदार्थों के गिरने या घाव व अल्सर आदि के वाद सफेद हो गया हो तथा नजर एकदम कम हो गई हो का ईलाज नेत्रदान से प्राप्त कार्निया प्रत्यारोपण से संभव है। उन्होंने बताया कि कार्निया प्रत्यारोपण के आपरेशन के अच्छे परिणाम के लिए आवश्यक है कि दान देने बाले व्यक्ति की आंखों के कार्निया मृत्यु के वाद जल्द से जल्द निकाल लिए जाएं तथा प्रत्यारोपण भी यथा शीध्र हो सके।

फिर भी मृत्यु के 6 घंटाें के अंदर दानदाता की आंखों के कार्निया लिए जा सकते हैं तथा 24 घंटाें के अंदर प्रत्यरोपित किए जा सकते हैं। उन्होंने स्वास्थ्य कर्मियों का अह्वान किया कि वो लोगों के मन में बैठे अंधविश्वस कि मृत्युपरांत नेत्रदान से व्यक्ति अगले जन्म में जन्मांध पैदा होगा को मिटाने में स्वास्थ्य विभाग का सहयोग करें व स्वयं भी नेत्रदान के लिए आगे आएं तथा दूसरे लोगों को भी नेत्रदान जैसे महांदान के लिए प्रेरित करें, ताकि अपने देश से अंधता को मिटाने की दिशा में सार्थक कदम बढ़ाए जा सकें।