जीवन में संघर्ष कर रहा परिवार, संजय पराशर बने मददगार

हाेनहार बेटी की पढ़ाई के लिए कैप्टन संजय ने दी स्कॉलरशिप

ज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

कोरोना महामारी के डेढ़ वर्ष के बाद हालात भयावह नजर आते हैं। कई लोगों का रोजगार छिन गया, तो कई का व्यवसाय ठप्प होकर रह गया। इसका सीधा असर कई परिवारों के होनहार बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ा। कई विद्यार्थियों को मजूबरी में उच्च शिक्षा से भी वंचित रहना पड़ा। ऐसे पढ़ाई में अव्वल बच्चाें का भविष्य दाव पर न लगे, इसके लिए कैप्टन संजय पराशर प्रत्यन्नशील हैं और अपने संसाधनों से उन्हें स्कॉलरशिप प्रदान कर रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में जसवां-परागपुर क्षेत्र के दड़ब गांव की होनहार बेटी को कैप्टन पराशर ने एक मुश्त स्कॉलरशिप प्रदान की है। दरअसल जब संजय रविवार शाम को चिंतपूर्णी के बाजार से जा रहे थे, तो किसी परिचित ने उन्हें किसी काम के लिए रोक लिया। तभी पराशर की नजर एक रेहड़ी पर पड़ी, जहां एक किशोर बर्तन साफ कर रहा था।

कुछ देर बाद दड़ब गांव के रेहड़ी मालिक महेंद्र सिंह से हाल-चाल पूछा, तो उसने बताया कि कोविड-19 के बाद आर्थिक हालात दिन व दिन बिगड़ते चले गए। चिंतपूर्णी जैसे बाजार में जहां हर वक्त श्रद्धालुओं की रौनक लगी रहती थी, वहां अब दिहाड़ी तक निकालना मुश्किल हो गया है। मजूबरी में अब नौकर की बजाय अवकाश के दिन 12वीं में पढ़ाई करने वाला बेटा हाथ बंटाता है। बेटी दसवीं कक्षा में निजी स्कूल में अध्यनरत है और पढ़ाई में अव्वल है, लेकिन उसकी फीस देने के लिए पैसे नहीं जुटा पा रहा है। महेंद्र सिंह ने बताया कि पराशर जब बेटी के स्कूल सरस्वती विद्या मंदिर, चिंतपूर्णी में गए थे, तो उनकी बातों को सुनकर बेटी प्रभावित हुई थी और पराशर से मिलने की इच्छा भी जताई। तब पराशर ने कहा कि बेटी से वह आज ही मुलाकात करेंगे।

इसके बाद संजय उस होनहार बेटी से मिले और उसकी पढ़ाई के लिए एक वर्ष की फीस जो कि 14 हजार रूपए बनती थी, का चेक परिवार को सौंप दिया। पराशर ने इस बेटी को कहा है कि वह अपने विद्यालय की दीवारों पर अंकित महापुरूषों के बारे में लेख भी लिखकर दे। लेख के बाद पराशर इस बेटी को उन सभी महापुरूषों की जीवन से संबंधित पुस्तकें भी उपलब्ध करवाएंगे। पिता महेंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने कैप्टन संजय के बारे में बहुत सुना था, लेकिन इतनी छोटी-सी मुलाकात के बाद वह इस तरह से मदद कर देगें, ऐसी तो कल्पना तक भी नहीं की थी। बताया कि उनका परिवार पराशर का सदैव आभारी रहेगा।

इसके अलावा सोमवार को कैप्टन संजय ने जसवां-परागपुर क्षेत्र के अमरोह गांव में बीकॉम तृतीय वर्ष की छात्रा को भी पुस्तकें लेने के लिए सहायता की है। बताते चलें कि कैप्टन संजय ने सामाजिक सरोकारों में शिक्षा व रोजगार को प्रमुख स्थान दिया है और विभिन्न प्रोजेक्टस के माध्यम से वह बच्चों व युवाओं को स्कॉलरशिप के साथ मार्गदर्शन भी कर रहे हैं। हिमाचल शिक्षा समिति को भी पढ़ाई में अव्वल, लेकिन आर्थिक रूप से अक्षम परिवारों के बच्चों की पढ़ाई के लिए 21 लाख रूपए दिए थे।