जंगली जानवरों व बंदरों के आतंक से किसान परेशान

विनय महाजन। नूरपुर

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला के नीचले क्षेत्रों का किसान बागवान व फल उत्पादक आज के दौर में खेतीबाड़ी को लेकर जंगली जानवरों व बंदरों के आतंक से काफी परेशान हैं। सरकार की तरफ से इस विषय में कोई कार्रवाई आज तक किसानों के हित में न होने से जिला कांगड़ा के किसान परेशान हैं तथा सरकार की कारगुजारी से नाराज होकर खमोश हैं। प्रदेश में यह स्थिति कागड़ा में ही नहीं, अपितु पूरे हिमाचल की है। नूरपुर मे दी सहकारी कांगड़ा कृषि एव ग्रामीण व विकास बैंक के पूर्व अध्यक्ष करैनल राणा ने आज सरकार से आग्रह किया है कि युवा किसानों की इस जटिल समस्या पर अगर ध्यान नहीं दिया गया।

इस समय में कोई बड़ी बात नहीं कि युवा पीढ़ी खेतीबाड़ी का काम छोड़ने पर मजबूर न हो जाए, आजकल फसलों पर किसानों को खेतों में ठीकरी पहरा दिन-रात खुद देना पड़ रहा हैं। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी खेतों में दिन में बंदरों व आवारा पशुओं के भय का पहरा और रात को जंगली जानवरों के भय से रात के अंधेरे में फसलों को बचाना पड़ रहा हैं। सरकार की कारगुजारी इस विषय में बड़ी अजीवो-गरीब है। एक तरफ सरकार किसानों को आत्म निर्भर बनाने की नसीहत दे रही है।

दूसरी तरफ इन जंगली जानवरों से छुटकारा दिलाने हेतु कोई ठोस रणनीति लागू नहीं कर रही है, अभी तक हिमाचल प्रदेश में धूमल की सरकार ने इस विषय में कदम उठाया था, लेकिन अफसरशाही ने इस पर गौर नहीं किया। किसानों को अपनी फसलों को बचाने हेतु सुरक्षा के लिए इन जानवरों से बंदूक लाईसेंस देने हेतु आदेश पारित किया गया था, उसके बाद जितनी भी सरकारें आईं उन्होंने इस बात पर गौर किया होता, ताे आज हिमाचल प्रदेश का किसान इस समस्या से मुक्त होता बंदरों का उत्पाद शहर में भी काफी गंभीर है।

उल्लेखनीय है कि अभी हाल ही में एक पूर्व नगर पार्षद भी बंदरों के तीखे हमले से इस बार अपने हाथ की हड्डी तुड़बा बैठा है, जो उपचारधीन है। वहीं, एक महिला भी गत दिन बंदरों की शिकार हो गई। नूरपुर नगर परिषद के पूर्व नगर पार्षद विनोद महाजन ने भी इस विषय में मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज करवाई है, जिसमें पूरा विवरण मांगा है।