फतेहपुर उपचुनाव: कांग्रेस-भाजपा में टिकट को लेकर बागवत, सुशांत ने नहीं खोले पत्ते

विनय महाजन। नूरपुर

नूरपुर काग्रेस नेता सुजान सिंह पठानिया विधायक की मौत के बाद खाली हुई कागड़ा जिला के फतेहपुर सीट पर जहां भाजपा धरती पुत्र को मुद्दा बनाकर टिकट आबंटन पर परमार के खिलाफ आरपार की लड़ाई लड़ रही है। वहीं कांग्रेस भी परिवारवाद को लेकर टिकट के आवंटन में सुजान सिंह पठानिया के बेटे की टिकट को लेकर आर पार की लड़ाई लड़ रही है। कांग्रेस व भाजपा को अपनों से अब खुले आम इस सन्दर्भ में बगावत नजर आने लगी हैं उधर सौ दिन से अधिक धरने पर जन हित मे बैठे फतेहपुर में डॉक्टर सुशांत तीसरी शक्ति के नेता ने अभी तक अपनी सियासी राजनीति के पत्ते नहीं खोले कि उनके स्थान पर उनकी पार्टी का उत्तराधिकारी कौन इस सीट पर चुनाव लडेगा। डॉ. सुशांत अनुभवी राजनीतिक इस हल्के में है और काफी जनाधार है तथा मूकदर्शक के रूप मे मौनी बाबा बनकर काग्रेस व भाजपा में टिकट को लेकर जो वाद विवाद चल रहा हैं उसका जायजा ले रहे हैं दोनों पार्टियों के अनेक कार्यकर्ता सुशांत से इस समय जुड़े हुए हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले चुनाव में भाजपा प्रत्याशी परमार बारह सौ के लगभग वोटो से हारे थे। उसका कारण पार्टी भीतरघात था इस बार भी भीतरघात होगा।

अगर हाई कमान ने टिकट का फैसला धरातल पर रहकर नहीं किया काग्रेस यहां पर परिवार वाद से घिरी है अगर हाईकमान धरातल पर रहकर टिकट का फैसला नहीं कर पाता काग्रेस को भी भाजपा की तरह चुनाव में नुकसान होगा ऐसे में डॉ. सुशांत अपनी पैनी नजर रखे हुए हैं आज तक भाजपा ने सुशांत के वाद किसी भी पंडित की टिकट नहीं दी जिस कारण भाजपा यहां पर अपना परचम नहीं लहरा सकी जबकि कांग्रेस ने सदा राजपूत परिवार को ही टिकट सदा दी है । डॉ. सुशांत की याद अव भाजपा में उनके मित्रों को इस उपचुनाव मे आने लगी हैं इसका उदाहरण पिछले दिनों पूर्व प्रधान सतपाल सती का फतेहपुर में उनके धरने पर गैर राजनीतिक मुलाकात करना यह सव भाजपा के लिए चुनावी नौटंकी नहीं तो क्या है भाजपा नेता जानते हैं कि सुशांत के बिना भाजपा चुनाव नहीं जीत सकती ना ही भाजपा के पंडितों की वोट लेने के लिए सशक्त पडित नहीं है ।

कांग्रेस भी परिवार वाद को खत्म करने के लिए सुशांत से चुनाव जीतने के लिए गोटियंा फिट कर सकतीं इस लिए काग्रेस एक पूर्व मंत्री जो सुशांत के रिश्तों में काफी नजदीक है तथा वीरभद्र सिंह के मित्र सुशांत को मनाने का प्रयास कर सकते हैं अपने हित मेंलेकिन सुशांत दोनों पार्टियों के नेताओं की आदत से परिचित हैं।