बहादुर थी मेरी संतोष… पत्नी को याद कर शांता की आंखों से निकले आंसू

बोले, संतोष न होती तो देश व प्रदेश की सेवा नहीं कर पाता

उज्जवल हिमाचल। धर्मशाला

किसी अपने के गुजर का दुख बहुत ही कष्टदायी होता है।  प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार पत्नी संतोष शैलजा के गुजर जाने से बेहद दुखी हैं। पत्नी के गुजर जाने के बाद पहली बार शांता कुमार ने फोर्टिस अस्पताल चंडीगढ़ से अपना रिकॉर्डिड संदेश दिया है। पत्नी के साथ बिताए वक्त को याद करते हुए शांता कुमार की आंखें भर आई। शांता ने कहा कि 1990 में दूसरी बार मुख्यमंत्री, तीन जगह से जीता, बहुत दबाव था सबका, पत्नी को भेजो, पत्नी को भेजो लोकसभा, भेजो विधानसभा, क्योंकि दो जगह मुझे त्याग पत्र देना था।

उस वक्त मैं सर्वेसर्वा था जो चाहता हो जाता। 14 दिन में त्याग पत्र देना था। अंतिम दिन बच्चों को बैठाया। मैंने कहा एक समस्या है मेरी, इससे पहले कोई कुछ बोलता आंखे लाल कर संतोष बोली आपको दूसरी बार भगवान ने मुख्यमंत्री बना दिया अब कुछ नहीं चाहिए। …आंखे पोछते हुए। ऐसी बहादुर थी मेरी संतोष। करता मैं भी वही, लेकिन परिवार चुनाव के लिए तैयार हो जाता तो मैं टूट जाता। डॉक्टर शिव कुमार को विधानसभा में भेजा, मेजर को लोकसभा में भेजा। उन्होंने कहा कि आपातकाल में नाहन जेल में बीमार हो गया। चेकअप करवाया। दूसरे दिन जेल जाना था। एक मित्र आए उन्होंने कहा कांग्रेस नेता का बयान पढ़ा। उन्हें छोड़ नहीं सकते। कुछ लिख दिजिए डाक्टर को कहकर छुड़वा देते हैं। कल्पना करिए जेल का कैदी कभी आना नहीं आना आंखे लाल करके संतोष बोली कुछ नहीं लिखना। मैं परिवार को संभालूंगी। ऐसी बहादुर थी बहुत मुश्किल है भूलना बहुत मुश्किल है भूलना।

लेकिन फिर सोचता हूं, मृत्यु जीवन का अंत नहीं है। जीवन तो साश्वत चलता रहता है। मृत्यु जीवन की पूर्णता है, जब यह सोचता हूं संतोष पूरा जीवन जीकर गई 83 वर्ष जीवन के पूरे किए। मेरे साथ कदम से कदम मिलाकर खड़ी रही। सच कहता हूं मेरे जीवन में संतोष न होती तो देश व प्रदेश की सेवा नहीं कर पाता। मेरे पूरा जीवन लिखवाकर गई। एक साल कठिन परिश्रम, आत्मकथा पूरी करवाई। शीर्षक कहो, दस शीर्षक चुने टिका नहीं। संतोष ने बड़ी बेटी इंदू से सलाह की। मेरी ही कविता की एक पंक्ति पुस्तक को शीर्षक दिया। पुस्तक पूरी हो गई। पहले पृष्ठ पर समर्पण है मां को एक और पृष्ठ पर समर्पण होगा संतोष को। अब टांडा अस्पताल में विदा की अंतिम घड़ी आई, मैं और बेटा संतोष के सामने खड़ा था। 83 वर्ष के जीवन की थकावट नहीं थी। जीवन की पूर्णता का आश्वासन था उसके चेहरे पर। मुझे लगा संतोष मुझे कुछ कह रही है। मुझे लगा मैं सुन रहा हूं, उसने कहा कवि की तुम्हारे होंठ भी थे बंद, और मै भी चुप था फिर वो क्या था जो इतनी देर बोलता रहा। रोते हुए, वो प्यार का अहसास था यह अहसास है रूह का।

डाक्टर महान हैं, बढिय़ा इलाज हो रहा

शांता कुमार ने कहा कि फोर्टिस में डाक्टर कर्मचारी बहुत प्यार कर रहे हैं। डाक्टर महान हैं। इलाज बढिय़ा है, बेटा बेटियां एटेंडेट, मैं स्वस्थ हूं, सब प्रकार का इलाज होगा। भगवान करे इसी किस्म के अस्पताल हर जगह हो, मित्रों मुझे अपना प्यार देते रहना। मैंने हिम्मत से जीने का निर्णय लिया है। प्यार आप देंगे हिम्मत प्रभु देगा। आप सभी स्वस्थ रहना। आप सभी सब नियमों का पालन करना। हिमाचल सरकार जयराम ठाकुर का आभारी हूं, भारत सरकार का आभारी हूं। प्रधानमंत्री ने फोन किया है, नड्डा ने फोन किया है। हे प्रभु पूरे विश्व को इस त्रासदी से मुक्ति दो। साहित्य अकादमी, धरती व अपनी पोती गरिमा का आभारी हूं। आज हिम्मत जुटाकर मेरी पोती गरिमा ने हिमचाल साहित्य कला अकादमी के एक कार्यक्रम के लिए मेरी रिकॉर्डिंग तैयार की थी। मैं आभारी हूं। आपको सबको मेरा प्रणाम ओम शांति शांति शांति।