मजदूरों की समस्या से जूझ रहे बागवान

मनीष ठाकुर। कुल्लू

जिला कुल्लू में इन दिनों सेब का सीजन जोरों पर है, लेकिन बागबान को मजदूरों की समस्या खल रही है। ऐसे में अगर बागवानों को मजबूर नहीं मिले, तो सेब की फसल बगीचों में ही खराब होने की आशंका भी बनी हुई है। जिला कुल्लू के उझी घाटी मणिकरण बंजार में इन दिनों बगीचों में कार्य जोरों पर है। रोजाना बागवान बगीचों से सेब को तोड़कर मंडियों में पहुंचा रहे हैं और जल्द इस कार्य को खत्म करने की फिराक में लगे हुए हैं।

कुछ जगहों पर तो बागवान उन्हें अपने खर्चे पर मजदूरों की व्यवस्था कर ली है, लेकिन कोरोनावायरस के चलते कई बागवान अभी भी मजदूरों को बाहर से लाने में डर रहे हैं। वहीं, सरकार के द्वारा बाहरी राज्यों से मजदूर लाने का फैसला, तो किया गया है, लेकिन इसकी प्रक्रिया इतनी जटिल है कि कुछ बागवानों को इसे समझना ही काफी मुश्किल है। घाटी के बागवान व प्रदेश कांग्रेस के सचिव राजीव किमटा का कहना है कि प्रदेश में साढे़ चार हजार करोड़ से अधिक सेब का व्यापार होता है और ज्यादातर कार्य मजदूरों पर ही निर्भर रहता है।

कोरोना के डर के चलते अब की बार बागवानों को बगीचे में काम करने के लिए मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं। वहीं, सरकार के द्वारा जो प्रक्रिया शुरू की गई है, वे काफी जटिल हैं। ऐसे में मजदूरों की कमी को पूरा करने के लिए सरकार को प्रयास करने चाहिए और उस जटिल प्रक्रिया को सरल बनाना चाहिए। उनका कहना है कि इन दिनों सेब का सीजन जोरों पर है और मंडियों में सेब की फसल को भेजा जा रहा है, लेकिन अभी भी बगीचों में सेब की फसल वैसी ही खड़ी है।

मजदूरों की कमी के चलते इसे समय पर उतार पाना मुश्किल है। अगर समय पर मजदूरों की व्यवस्था न हुई, तो आधी फसल बगीचे में ही खराब हो जाएगा। गौर रहे कि जिला कुल्लू में सेब सीजन का दारोमदार नेपाली मजदूरों पर रहता है, लेकिन कोरोना के डर के चलते इस साल मजदूर कुल्लू घाटी का रुख नहीं कर पाए हैं।

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