2008 में नियुक्त टीजीटी शिक्षकों को समुचित सेवालाभ दे सरकार

एसके शर्मा। हमीरपुर

हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2008 में नियुक्त 425 टीजीटी कला शिक्षक आज तक सेवालाभों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। वर्ष 2008 में बैच आधारित नियुक्तियों के लिए भर्ती पदोन्नति नियमों में अनुबंध का कोई उल्लेख नहीं था और सरकार ने इन शिक्षकों को नियमित नियुक्तियां देने की बजाय नियमों के विपरीत अनुबंध नियुक्ति प्रदान की, जबकि इसी वर्ष नियुक्त जेबीटी को सरकार ने नियमित नियुक्तियां प्रदान की थीं। इस तरह अनुबंध का दंश इन शिक्षकों ने नवंबर 2008 से वर्ष 2015 तक झेला, जिसके चलते वरिष्ठता और आर्थिक लाभ न मिले। अनुबंध में वर्ष 2008 में 8220 रूपए मासिक वेतन पर नियुक्त इन कर्मियों को 2011 में 10300-34800 स्केल व 3600 ग्रेड पे लाभ मिला।

शोषण का सबसे अधिक समय झेल चुके इन कर्मचारियों को लाभ देने हेतु हाईकोर्ट ने भी पक्ष में फैसला दिया, मगर उसका लाभ चुनिंदा लोगों को ही मिला सका है और शेष शिक्षक इस लाभ के लिए प्रतीक्षारत हैं। यह लाभ इन शिक्षकों को जारी करने की मांग हिमाचल प्रदेश राजकीय प्रशिक्षित कला स्नातक संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कौशल, उपाध्यक्ष मदन, प्रदेश महासचिव विजय हीर, स्टेट प्रतिनिधि संजय ठाकुर, देश राज, संघ प्रचारक ओम प्रकाश, प्रेस सचिव पवन रांगड़ा, जिला इकाईयों के प्रधान विजय बरवाल, संजय चौधरी, रविन्द्र गुलेरिया, राकेश चौधरी, डॉ. सुनील दत्त, नीरज भारद्वाज, रिग्ज़िन सैंडप, शेर सिंह, पुष्पराज खिमटा, रामकृष्ण, अमित छाबड़ा, देशराज शर्मा ने प्रदेश सरकार से की है।

संघ महासचिव विजय हीर ने कहा कि अनुबंध, प्रोबेशन और नई पेंशन स्कीम कर्मचारियों हेतु कैंसर से कम नहीं हैं। प्रदेश में पिछले 18 वर्ष में हज़ारों कर्मचारी अनुबंध और प्रोबेशन की मार के चलते आर्थिक रूप से शोषित हुए और पदोन्नति लाभों से भी वंचित रहे व अनेक कर्मचारियों को बिना पदोन्नति पाए ही सेवानिवृत्त होना पड़ा।