किसानों से ईस्ट इंडिया कंपनी जैसा बर्ताव कर रहा केंद्र: सुधीर शर्मा

उज्जवल हिमाचल। धर्मशाला

मोदी सरकार देश के किसानों व बागवानों के साथ ईस्ट इंडिया कंपनी जैसा व्यवहार कर रही है। यह कहना है पूर्व मंत्री व अखिल भारतीय कांग्रेस सचिव सुधीर शर्मा का। उन्होंने कहा कि किसानों, बागवानों एवं मंडियों से जुड़े सभी लोगों पर इन बिलों का कुप्रभाव पड़ेगा। देश पहले ही मंदी के दौर से गुजर रहा है। सरकार ने लोकसभा में तीन कृषि विधेयकों को पारित किया जिसको लेकर जबरदस्त विरोध हो रहा है। यहां तक कि बीजेपी के साथ गठबंधन वाली पार्टियां भी इसका विरोध कर रही हैं। सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लग रहा है। किसान सडक़ों पर उतरकर इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं। नए बिल जिस तरह से आनन फ़ानन में लाए गए हैं उस से लगता है की सीधे सीधे बड़े औद्योगिक घरानों को इसका सारा लाभ मिलेगा और छोटा किसान व बागवान इसकी मार से पिस जाएगा।

संसद में पारित कृषि विधेयकों को पर पूर्व मंत्री ने उठाए सवाल

यदि किसान अपनी उपज को पंजीकृत कृषि उपज मंडी समिति (APMC/Registered Agricultural Produce Market Committee) के बाहर बेचते हैं, तो राज्यों को राजस्व का नुकसान होगा क्योंकि वे मंडी शुल्क प्राप्त नहीं कर पाएंगे। यदि पूरा कृषि व्यापार मंडियों से बाहर चला जाता है, तो यह डर है कि इससे अंतत: न्यूनतम समर्थन मूल्य आधारित खरीद प्रणाली का अंत हो सकता है और निजी कंपनियों द्वारा शोषण बढ़ सकता है।

मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill, 2020): इस प्रस्तावित कानून के तहत किसानों को उनके होने वाले कृषि उत्पादों को पहले से तय दाम पर बेचने के लिये कृषि व्यवसायी फर्मों, प्रोसेसर, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों या बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ अनुबंध करने का अधिकार मिलेगा। इस कानून को भारतीय खाद्य व कृषि व्यवसाय पर हावी होने की इच्छा रखने वाले बड़े उद्योगपतियों के अनुरूप बनाया गया है। यह किसानों की मोल-तोल करने की शक्ति को कमजोर करेगा। इसके अलावा, बड़ी निजी कंपनियों, निर्यातकों, थोक विक्रेताओं और प्रोसेसर को इससे कृषि क्षेत्र में बढ़त मिल सकती है।

आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दाल, तिलहन, प्याज और आलू जैसी कृषि उपज को युद्ध, अकाल, असाधारण मूल्य वृद्धि व प्राकृतिक आपदा जैसी असाधारण परिस्थितियों को छोडक़र सामान्य परिस्थितियों में हटाने का प्रस्ताव करता है तथा इस तरह की वस्तुओं पर लागू भंडार की सीमा भी समाप्त हो जाएगी। इससे बड़ी कंपनियों को इन कृषि उत्पादों के भंडारण की छूट मिल जाएगी, जिससे वे किसानों पर अपनी मर्जी थोप सकेंगे। देश के अन्नदाता के साथ सरकार ने विश्वासघात किया है इस प्रकार के तुगलकी फरमानों के ख़िलाफ़ कांग्रेस पार्टी किसानों और बागवानों के हितों की लड़ाई हर मोर्चे पर लड़ेगी।