जसवां-परागपुर के मोतियाबिंद मुक्त होने तक होता रहेगा स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन-कैप्टन संजय

बगली पंचायत में आयोजित किया 29वां महायज्

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

कैप्टन संजय ने कहा है कि जसवां-परागपुर क्षेत्र में स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन ईश्वरीय कृपा से ही हो रहा है। भगवान के इस कार्य में उन्होंने आम जनमानस को लाभांवित करने के लिए सिर्फ सेतु का काम किया है। अब हर्ष का विषय है कि प्रदेश में सबसे ज्यादा मोतियाबिंद के आपरेशन जसवां-परागपुर क्षेत्र के वासियों के ही हुए हैं और अब यह क्षेत्र मेजी से मोतियाबिंद मुक्त होने की ओर अग्रसर है।

वीरवार काे बगली पंचायत में 29वें महायज्ञ के आयोजन अवसर पर पराशर ने कहा कि मोतियाबिंद मुक्त अभियान का दूसरा चरण चला हुआ है और हर मंगलवार को डाडासीबा और हर शनिवार को परागपुर और रक्कड़ में अब भी आंखों की नियमित रूप से आखों का चेक अप किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि जब तक जसवां-परागपुर क्षेत्र मोतियाबिंद मुक्त नहीं हो जाता, तब तक क्षेत्र में स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन होता रहेगा। संजय ने कहा कि जसवां-परागपुर क्षेत्र का भौगोलिक दायरा काफी विस्तृत है। बावजूद जिस विजन और मिशन के तहत क्षेत्र में शिक्षा, रोजगार व स्वास्थ्य को लेकर काम करना था, उसमें साफ कमी नजर आती है।

शिक्षण संस्थानों में अध्यापकों, प्राध्यापकों और प्रिंसीपल तक के पद रिक्त है। जनता ने कई बार आवाज भी उठाई, लेकिन तंत्र अब तक भी मूकदर्शक की भूमिका में नजर आ रहा है। पराशर ने कहा कि कोरोनाकाल ने स्वास्थ्य संस्थानों को मजबूत करने की सीख दी, लेकिन क्षेत्र के अस्पतालों को देखकर लगता है कि इस आपदा से भी सबक नहीं लिया जा सका।

आज भी क्षेत्र के अस्पताल रेफरल संस्थान बने हुए हैं और इससे सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब आदमी हो रहा है। संजय ने कहा कि पिछले वर्षों में रोजगार के अवसर क्षेत्र में सीमित रहे हैं और बेरोजगारी का आंकड़ा बहुत ज्यादा बढ़ गया है। इन तीनों सामाजिक सरोकारों को लेकर किए गए प्रयास नाकाफी रहे हैं। पराशर ने कहा कि लोकंतंत्र में गरीब व्यक्ति की आवाज को अनसुना नहीं करना चाहिए, लेकिन हैरानी है कि क्षेत्र में सबसे ज्यादा जरूरतमंद लोगों को आवास योजना के तहत मकान नहीं मिल पाए हैं।

ऐसा क्यों हुआ है, इसके पीछे के कारणों का भी चिंतन व मनन करना चाहिए। जनतंत्र में मूल भावना यही होनी चाहिए की समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का कल्याण हो और सरकार अपनी योजनाओं के साथ आम जनता के घर-द्वार पर पहुंचकर समस्याओं का समाधान करे। लेकिन सरकारी योजनाओं की जानकारी देने के लिए संजीदगी नहीं दिखाई गई।

संजय ने कहा कि महिला सशक्तीकरण की दिशा में काफी काम किया जा सकता है। महिलाओं द्वारा बनाए गए स्वयं सहायता समूहाें को मजबूत करना और महिलाओं की आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना, आज समय की मांग है। इसके लिए लघु उद्योग की स्थापना करके महिलाओं को सीधे रोजगार के जोड़ा जा सकता है, लेकिन विडंबना यही कि जिन पर इन कामों को करने और निभाने की जिम्मेवारी थी, उन्होंने जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।

पराशर ने कहा कि वह जल्द ही जसवां-परागपुर क्षेत्र की हर पंचायत के लिए विजन डॉक्युमेंट लेकर आ रहे हैं, जिसमें क्षेत्र के विकास, योजनाओं और विभिन्न प्रोजेक्टस का रोड़ मैप आने वाले वर्षों के लिए तैयार किया जाएगा। इस विजन में स्थानीय वासियों के सुझावों को भी प्रमुखता से शामिल किया जाएगा।

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