बिना प्रवेश परीक्षा दाखिला देना मनमाना व गैरकानूनी : हाईकोर्ट

छात्रों के भविष्य को देखते हुए दाखिलों को रद्द करने से भी किया इनकार

उज्जवल हिमाचल। शिमला

हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) द्वारा प्रवेश परीक्षा आधारित कोर्सों में मौजूदा सत्र के लिए बिना प्रवेश परीक्षा दाखिले देने को मनमाना व गैरकानूनी ठहराया है। हालांकि, छात्रों के भविष्य को देखते हुए दाखिलों को रद्द करने से कोर्ट ने इनकार कर दिया है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने एचपीयू को आदेश दिए कि एक सप्ताह के भीतर पूरा मामला कार्यकारिणी परिषद (ईसी) के समक्ष रखे। ईसी 3 सप्ताह के भीतर उचित फैसला ले। यह निर्णय चाहे दोषी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई का हो या भविष्य में कोरोना महामारी जैसे हालातों को देखते हुए दाखिलों के तौर-तरीकों से जुड़ा हो।

यही नहीं, कोर्ट ने यह सारा मामला एक सप्ताह के भीतर यूजीसी के समक्ष भी रखने के आदेश दिए हैं। मामले के अनुसार प्रार्थी शिवम ठाकुर ने ऐसे दाखिलों को रद्द करने की मांग की थी। एचपीयू की दलील थी कि कोरोना संकट को देखते हुए व यूजीसी की समय सीमा को ध्यान में रखकर सत्र 2020-2021 के लिए कुछ कोर्सों के दाखिले प्रवेश परीक्षा की बजाय अंतिम परीक्षा में मेरिट के आधार पर दिए गए। कोर्ट ने पाया कि विश्वविद्यालय के पास पर्याप्त समय था कि वह यूजीसी द्वारा तय समय सीमा के भीतर प्रवेश परीक्षा करवाकर दाखिले कर सकता था। कोर्ट ने यह भी पाया कि एचपीयू ने वर्ष 1990 के दौरान कुछ कोर्सेज में दाखिले प्रवेश परीक्षा से ही करवाए जाने का निर्णय लिया था जो आज तक लागू है। फिर भी इस बार बिना प्रवेश परीक्षा के दाखिले दे दिए गए जो न केवल मनमाना है बल्कि गैरकानूनी भी है।