निजीकरण और इन्फ्रास्ट्रक्चर खर्च पर जोर दे सरकार

उज्जवल हिमाचल डेस्क…

 

देश के शीर्ष अर्थशास्त्रियों ने प्रधानमंत्री के साथ बातचीत में सरकारी कंपनियों के निजीकरण और इन्फ्रास्ट्रक्चर खर्च पर जोर देने का आग्रह किया है। कुछ अर्थशास्त्रियों की सलाह थी कि कोरोना संकट से जूझ रही अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए सरकार वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में राजकोषीय घाटे पर लचीला रुख अपना सकती है।

सूत्रों के मुताबिक उनका यह भी आग्रह था कि सरकार निर्यात को बढ़ावा देने और निवेशकों का मनोबल बढ़ाने के लिए नीतियां लाए। इसकी वजह यह है कि सभी सेक्टरों में कई तरीके से संरचनात्मक सुधारों को गति देने संबंधी उपायों के बावजूद देश में बड़ी मात्रा में निवेश नहीं आ रहा है।


प्रधानमंत्री के साथ वर्चुअल माध्यम से हुई इस बैठक में मौजूद एक सूत्र ने कहा कि निवेशकों का मनोबल बढ़ाने की सख्त जरूरत है। सरकार को हर चीज को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता में नहीं घसीटना चाहिए, क्योंकि बहुत से सुधारों के बावजूद निवेशक भारत में निवेश को लेकर निश्चिंत नजर नहीं आ रहे हैं। कुछ का यह भी विचार था कि सरकारी संपत्तियों और कंपनियों के निजीकरण के लिए सरकार को एक अलग मंत्रालय का गठन करना चाहिए।

बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर, योजना राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह, नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार व सीईओ अमिताभ कांत भी शामिल थे।