हिमाचलः कश्मीरी मुहल्ला के 6 परिवारों आए खतरे की जद में

हिमाचलः कश्मीरी मुहल्ला के 6 परिवारों आए खतरे की जद में

उज्जवल हिमाचल। चंबा
चंबा मुख्यालय में बसा कश्मीरी मुहल्ला और उसमे रहने वाले 6 परिवारों के लोग हो रहे भूस्खलन के चलते खतरे की जद में आ चुके है। यह लोग कब और किस वक्त अपने आशियाने के साथ नीचे बह रही रावी नदी में चले जाए कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।
हालांकि जिला प्रशासन ने इन सभी लोगों की रहने की व्यवस्था जनजातीय सराय में कर दी है पर वह लोग अभी भी अपने उस आशियाने को दिन में दो से तीन बार देखने जरूर आते हैं कि उनके जाने के बाद उनका आशियाना भूस्खलन की चपेट में आने के बाद साथ बह रही रावी नदी में तो नहीं चला गया है। जीरो ग्राउंड रिपोर्टिंग करने पहुंची हमारी टीम ने वहां पहुंचकर हर उस स्थिति की बारीकी से जांच तो की वहीं उन पीड़ित परिवारों से भी बात की तो बड़े ही दुःखी मन से इन लोगों ने अपनी आप बीती सुनाई।

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यह है चंबा का कश्मीरी मुहल्ला और किसी समय यही मुहल्ला चंबा के अन्य मुहल्लो की अपेक्षा सबसे खूबसूरत और पॉश इलाकों की गणना में आता था पर रावी नदी की ऊपरी चोटी पर बसे इस मुहल्ले में लगातार भूस्खलन होने से काफी लोगों ने अपने घर बार छोड़कर कहीं और बसने में ही अपनी भलाई समझी।

पर अभी भी कुछ एक परिवार यहीं पर रह रहे है। बताते चले कि अभी हाल ही में हुई तेज बारिश के बाद इस मुहल्ले में तेजी से भूस्खलन होने लगा जिसको देखते हुए जिला प्रशासन ने इस मुहल्ले के 6, परिवारों के अपने घरों से स्थानांतरित हो जाने के फरमान जारी कर दिए है।

जीरो ग्राउंड रिपोर्टिंग करते हुए हमारी टीम ने इस मुहल्ले में जाकर देखा और उन सभी पीड़ित परिवार के लोगों से बात की तो उनके दिलों से निकली भड़ास उनकी जुबा पर आ ही गई और इन लोगों ने जो कुछ भी बताया उसको सुनने के बाद प्रशासन पर से तो जैसे विश्वास ही उठ गया हो।

इन लोगों ने बताया कि वह अपने इन आशियाने को बचाने वर्ष 1979 से लगातार लड़ाई कर रहे है। इतना ही नहीं इसके लिए हम लोगों ने इस मुहल्ले में एक कमेटी का गठन भी किया और पता नही कितनी बार हम लोग और हमारी कमेटी मुख्यमंत्री, मंत्रियों और डीसी चंबा से भी मिले पर नतीजा कुछ भी नही निकला। उन्होंने बताया कि पिछले 44, वर्ष पहले की बात की जाए तो जिस जगह अभी हम लोग खड़े है यह पहले बहुत आगे तक हुआ करती थी पर धीरे-धीरे भूस्खलन के चलते यही जगह काफी पीछे आ गई है।

उन्होंने बताया कि किसी तरह हमारे घर बार बचे रहे तीन साल पहले मैने प्रोटेक्शन के तौर पर सात लाख रुपए खर्च भी किए। इसलिए आज तक हम लोग बचे हुए है। उन्होंने प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जिला प्रशासन इस मुहल्ले को डेंजर जोन घोषित कर चुका है तो ऐसी मुहल्ले में चार से पांच मंजिल बिल्डिंग का काम कैसे लगा हुआ है। उन्होंने बताया कि पहाड़ी के अंतिम छोर में बने हुए यह सभी मकान कभी भी इसलिए धस सकते है क्योंकि इस जगह में भार उठाने की क्षमता न के बराबर है।

इस मुहल्ले में रह रहे अन्य लोगों ने बताया कि पीछे हमारे मकान के साथ बहुत ज्यादा लैंड स्लाइड हुआ है और पिछले कल एसडीएम चंबा हमारे यहां आए थे और उन्होंने हमें यहां से शिफ्ट होने को कह दिया है और अब हम लोग जनजातीय सराये में रह रहे है। पूछने पर इन लोगों ने बताया कि हम लोगों ने कुछ ही कपड़े इत्यादी लिए है बाकी का सारा सामान हमारे घरों में ही पड़ा हुआ है और जरूरत के अनुसार समान को ले जाते है।

उधर इस बारे जब हमारी टीम ने जिला प्रशासन से पूछा तो एसडीएम चंबा ने बताया कि भारी बारिश के चलते चंबा में बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। अगर हम चंबा के क्षमिरी मुहल्ले की बात करे तो हम लोग वहां पर गए थे और पाया कि इस मुहल्ले में स्थित 6 से 7 जोकि बिल्कुल ही पहाड़ी के लास्ट छोर पर है।

उन सभी मकानों को बहुत ज्यादा खतरा है। उन्होंने बताया कि इन मकानों के निचली तरफ का काफी हिस्सा लैंड स्लाइड हो चुका है और इन सब को मध्यनजर रखते हुए हमने इन लोगों को यहां से स्थानांतरित होने की कह दिया है। उन्होंने बताया कि उनके रहने के लिए जिला प्रशासन ने जनजातीय भवन में इंतजाम कर दिया है।

जहां तक खाने की बात है तो वह सभी पीड़ित लोग किसी भी होटल में खाना खा सकते है। उसकी पेमेंट प्रशासन ही करेगा। उन्होंने बताया कि यहां रहने वाले कुछ लोगों ने हमें बताया कि इसकी पहले भी डीपीआर बनी हुई है। उसको भी देखा जायेगा पर जैसे ही हालात सुधरते है भू विशेषज्ञों की टीम को बुलाकर इसकी तहकीकात करवाई जायेगी। उसके बाद ही आगे के हालात के बारे बात की जाएगी।

संवाददाताः शैलेश शर्मा

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