कैप्टन संजय ने आज सैनिकों, पूर्व सैनिकों व वीर नारियों को किया सम्मानित

कारगिल विजय दिवस पर जसवां-परागपुर क्षेत्र के बणी में होगा कार्यक्रम

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

जसवां-परागपुर क्षेत्र की बणी पंचायत के शिव मंदिर में कैप्टन संजय कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में सैनिकों, पूर्व सैनिकों और वीर नारियों के सम्मान में मंगलवार को कार्यक्रम का ऑयोजन करेंगे। इस आयोजन के निमंत्रण के लिए पराशर ने जसवां-परागपुर क्षेत्र की सभी पंचायतों के सैनिक परिवारों को निमंत्रण पत्र भी दिए हैं। संजय ने पिछले वर्ष भी कारगिल विजय दिवस के अवसर पर छह सौ से ज्यादा सैन्य परिवारों का सम्मान किया था।

बणी में इस कार्यक्रम के प्रबंधों की रूपरेखा का जायजा लेने के बाद संजय पराशर ने कहा कि कि राष्ट्र की एकता व अखंडता के लिए हमें अपने वीर सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान काे सदैव याद रखना चाहिए। कारगिल के युद्ध के मोर्चे पर देश के वीर सपूतों ने भारत की संप्रभुता की रक्षा करते हुए अपनी जान की परवाह नहीं की। संजय ने कहा कि 23 वर्ष पूर्व इन्हीं पराक्रमी जवानों की बदौलत भारत ने पाकिस्तान को कारगिल में करारी शिकस्त दी थी।

संजय ने कहा कि हिमाचल प्रदेश से भी कैप्टन विक्रम बतरा, कैप्टन अमोल कालिया, दीपक गुलेरिया,पदम सिंह, सौरभ कालिया, विजेन्द्र व गुरदास राम सहित 52 हिमाचली सैनिक जवानों ने भी शहादत का जाम पीया था और कारगिल युद्ध में अपने प्राणों की परवाह न करते हुए दुश्मन की नापाक चाल को असफल बना दिया था। संजय ने कहा कि भारत पर अब तक कई युद्ध थोपे गए, लेकिन देश के साहसी जवानों ने हर बार दुश्मन को मुंह तोड़ जबाव दिया।

भारतीय सैनिकोें ने हमेशा देश की सीमाओं पर असाधारण संकल्प, पराक्रम व शौर्य का प्रदर्शन किया है। पराशर ने कहा कि देश की सेवा करने वाले सैनिक सीमा पर प्रहरी का कर्तव्य निभाने के साथ राष्ट्र के शांति मिशन, आपदा राहत के मानवीय कार्यों और आंतकवाद को रोकने जैसे कई मोर्चों में भी दिन-रात सक्रिय रहते हैं। कहा कि देश की सुरक्षा में पूर्व सैनिकों का भी अमूल्य योगदान है और कारगिल विजय दिवस पर वह सैनिकों व उनके परिवारों को सम्मानित करते हुए खुद को सम्मानित महसूस करेंगे।

संजय ने कहा कि कारगिल युद्ध जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के साथ हुआ था। पाकिस्तान की सेना ने इस इलाके पर कब्जा करने के लिए घुसपैठियों के नाम पर अपने सैनिकों को भेजा था। उनका मुख्य उद्देश्य लद्दाख और कश्मीर के बीच संबंध तोड़ना और भारतीय सीमा पर तनाव पैदा करना था।

कहा कि उस समय घुसपैठिए शीर्ष पर थे, जबकि भारतीय सैनिक ढलान पर थे, बावजूद भारत ने विपरित परिस्थितयों में दुश्मन के कब्जे से इस क्षेत्र को छुड़ा लिया। संजय ने कहा कि देश के सैनिक राष्ट्र के लिए कई मोर्चों पर काम करते हैं और राष्ट्र की आन, बान व शान के लिए अपना सर्वस्व कुर्बान कर देते हैं। संजय ने कहा कि कारगिल विजय दिवस की पूर्व संध्या पर सैनिकों व इनसे जुड़े परिवारों के सदस्यों को नमन करते हैं।