जसवां-परागपुर में मक्की की फसल को बर्बाद कर रहा फाॅल आर्मी वर्म कीट: कैप्टन संजय

-कहा कि पिछले तीन वर्ष से किसानों को उठाना पड़ रहा है आर्थिक नुकसान

उज्जवल हिमाचल। डाडासीबा

कैप्टन संजय ने कहा है कि पहले से ही बेसहारा पशुओं की समस्या से जूझ रहे जसवां-परागपुर क्षेत्र के किसानों पर एक कीट की प्रजाति लगातार तीसरे वर्ष भी मुसीबत बन कर आई है और विडम्बना यह है कि किसानों को इस परेशानी से बचाने के लिए अभी तक तंत्र की तरफ से कोई विशेष उपाय नहीं किए गए हैं। क्षेत्र की पीरसलूही पंचायत में जनसंवाद कार्यक्रम के तहत पराशर ने कहा कि क्षेत्र में फाॅल आर्मी वर्म नाम का कीट मक्की की फसल को नुकसान पहुंचा रहा है।

यह सिलसिला बीते तीन वर्षों से चला हुआ है। हजारों रूपए खर्च करने और जी तोड़ मेहनत करने के बाद किसानों के हाथ सिवाय मायूसी के कुछ हाथ नहीं लग रहा है। कहा कि इस बार भी हालात ऐसे हो चुके हैं कि मक्की की फसल की बिजाई के बीस-पच्चीस दिनों बाद ही इस रोग की चपेट में आ गई है। मक्की के पौधों पर इस कीट के हमले के बाद छेद पड़ना शुरू हो गए हैं और कीट पौधे के तने को चट कर रहा है। कहा कि अब शेष बची मक्की की फसल को कैसे बचाया जा सकता है, इसके लिए कृषि विभाग को भी सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।

संजय पराशर ने कहा कि क्षेत्र के किसानों की दिलचस्पी लगातार खेती में कम हो रही है। जो किसान कृषि पर निर्भर हैं, उनके लिए यह घाटे का सौदा साबित होने लगा है। कहा कि एक खेत की बीजाई पर किसानों का हजारों रूपए खर्च होता है और बीज से लेकर खाद तक श्रम अलग से करना पड़ता है। विशेष रूप से मक्की की फसल बीजने के बाद किसानाें काे पूरा समय खेतों में देना पड़ता है।

फसल की बुआई से लेकर रखवाली तक किसान व्यस्त रहते हैं। बावजूद किसानों को उनकी मेहनत का फल मिलता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। पिछले तीन वर्ष से फाॅल आर्मी वर्म कीट सारी फसल उजाड़ रहा है। संजय ने कहा कि उनके ध्यान मेें ग्रामीणों ने यह बात लाई है कि इस कीट की जद में कई गांवों में सारे खेत आ गए हैं और कीटनाशक के छिड़काव के बाद कोई असर होता नहीं दिखाई दे रहा है।

कहा कि फसलों में बीमारी लगना एक प्राकृतिक आपदा जैसा होता है, लेकिन फसलों को बीमारी होने के बाद बचाव व प्रबंधन की व्यवस्था भी होनी चाहिए। पराशर ने कहा कि खेतों में जाकर विभाग को इस बीमारी से उभरने के उपाय बताने चाहिए और कौन सा कीटनाशक कब प्रयोग करना है, इसके लिए समय पर किसानों के हित में प्रचार व प्रसार करना चाहिए।

कैप्टन संजय ने कहा कि जसवां-परागपुर क्षेत्र के सभी किसान फसल बीमा योजना के तहत अपनी फसल का बीमा नहीं करवाते हैं। इसके लिए उन्हें जागरूक करने की जरूरत है और यह कार्य पंचायत स्तर पर जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से हो सकता है। संजय ने कहा कि कृषि विभाग को इस बीमारी के बारे में व्यापक रूप से सर्वेक्षण करवाने की जरूरत है कि क्यों यह कीट हर वर्ष हमला कर रहा है और इस राेग से निपटने के क्या उपाय हो सकते हैं।