इंटरनेशनल कोर्ट में चीन के खिलाफ कोरोना फैलाने पर केस

हिमाचल धर्मशाला के अधिवक्ता विश्व चक्षु ने मांगी परमिशन

उज्जवल हिमाचल ब्यूराे। धर्मशाला

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस नीदरलैंड में भारत की तरफ से चीन के खिलाफ वैश्विक महामारी कोविड-19 कोरोना को पूरे विश्व में फैलाने पर केस दर्ज किया जाएगा। इसके लिए बौद्ध नगरी धर्मशाला के अधिवक्ता विश्व चक्षु ने केस करने के लिए कोर्ट में परमिशन को अप्लाई कर दिया है। वीरभूमि हिमाचल प्रदेश धर्मशाला के अधिवक्ता विश्व चक्षु ने नीदरलैंड कोर्ट ऑफ जस्टिस के समक्ष मामला उठाया है। कोविड-19 ने पूरे विश्व में तबाही व त्रासदी मचाई हुई है। इतना ही नहीं देश भर में भी कोरोना के कारण बड़ी परेशानियां झेलनी पड़ रही है।

इसी विषय को देखते हुए धर्मशाला के एडवोकेट विश्व चक्षु ने अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में चाईना के खिलाफ केस दर्ज करने की अनुमति मांगी है। नीदरलैंड से केस करने की अनुमति मिलने पर इंटरनेशनल कोर्ट में ही भारत की तरफ से चाईना के खिलाफ मामला चलेगा। विश्व चक्षु ने इंटरनेशनल कोर्ट को भेजे गए अपने पत्र में लिखा है कि चाईना ने कोरोना वायरस से पूरे विश्व को खतरे में डाल दिया। अब तक कोरोना महामारी के कारण लगभग एक करोड़ से अधिक संक्रमित मामले सामने आ चुके हैं। साथ ही पांच लाख से अधिक मौतें भी इस वायरस के कारण हो चुकी हैं।

इसमें भारत की बात करें तो देश में पहला केस 30 जनवरी 2020 को आया था। अब महामारी के प्रकोप से देश में पांच लाख 30 हज़ार लोग संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें से 16 हज़ार 103 मृत्यु हो चुकी हैं। वहीं कोरोना महामारी लगातार विश्व सहित देश भर में बढ़ रही हैं, और संक्रमण के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं। जिससे विश्व व देश की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से डगमगा गई है। ऐसे हालात में बेरोजगारी, उद्योग, एजुकेशन, भूखमरी और तनाव सहित अन्य परेशानियां देश को झेलनी पड़ रही हैं। उधर, एडवोकेट विश्व चक्षु ने कहा कि इन सभी विषयों के लिए चाईना जिम्मेदार है।

उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल कोर्ट में चाईना के खिलाफ केस करने की परशिमन मांगी है, और अगर अनुमति देते हैं, तो भारत की तरफ से उनके खिलाफ केस दर्ज करूंगा। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत में पीएम नरेंद्र मोदी के सही समय में उठाए गए कदम भी काफी हद कारगर सिद्ध हुए हैं। उन्होंने बताया कि पत्र की प्रतिलिफि भारत के सर्वोच्च न्यायालय, भारत सरकार को, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट व हिमाचल प्रदेश सरकार को भेज दी गई है।