हिमाचलः कैशलेस ट्रीटमेंट मेडिकल कार्ड बनाए सरकार

एस के शर्मा। हमीरपुर

हिमाचल प्रदेश के लाखों कर्मचारी और पेंशनर्स आज तक ईसीएचएस की तर्ज़ पर कैशलैस इलाज की सुविधा से वंचित हैं। भूतपूर्व सैनिकों हेतु केंद्र सरकार ने कंट्रीब्यूट्री हेल्थ स्कीम के कार्ड्स बनाए हैं जिनके माध्यम से इंपेनल किए गए सरकारी व निजी अस्पतालों में इलाज हो जाता है जिसकी अदायगी स्वयं सरकार करती है मगर प्रदेश के कर्मचारी मेडिकल क्लेम के तहत इस तरह की सुविधा से वंचित हैं ।

यहाँ सरकारी अस्पतालों और इंपेनल में मान्य किए गए निजी अस्पतालों में इलाज के लिए हर साल अधिसूचना होती है और सूची में मौजूद अस्पतालों में जाकर मेडिकल ट्रीटमेंट लेने पर बहुत सारी औपचारिकताएँ पूरी करते हुए बिल और डॉक्टर्स की संस्तुति लगाकर डीडीओ के माध्यम से क्लेम संबन्धित ट्रेज़री को भेजना पड़ता है मगर अनेकों क्लेम तय समय में न भेजने के चलते नहीं मिल पाते हैं जबकि अनेकों क्लेम ऐसे होते हैं जिसमें असल में हुए खर्च के बिलों में भी भारी कटौती ट्रेज़री या डीडीओ करते हैं । ऐसे में मेडिकल क्लेम में आधी या इससे भी कम रकम मिल पाती है। विडम्बना ये भी है कि कई बार मेडिकल क्लेम बजट ही नहीं आता और मेडिकल क्लेम की कोई राशि नहीं मिल पाती।

उक्त व्यवस्था में बदलाव करते हुए कर्मचारियों को कैशलैस उपचार देने हेतु मेडिकल कार्ड बनाने की मांग प्रदेश मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव को राजकीय प्रशिक्षित कला स्नातक संघ ने भेजी है । संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कौशल, उपाध्यक्ष मदन, प्रदेश महासचिव विजय हीर, स्टेट प्रतिनिधि संजय ठाकुर, देश राज, संघ प्रचारक ओम प्रकाश ए प्रेस सचिव पवन रांगड़ा ने प्रदेश सरकार से इसे स्वीकृत करने की गुहार लगाई है । हीर ने कहा कर्मचारी व उसके वैधानिक आश्रित व्यक्तियों को इलाज हेतु पहले मेडिकल उपचार की राशि का इंतजाम करना पड़ता है और मेडिकल क्लेम आधा अधूरा मिलने से भारी आर्थिक नुकसान होता है। ऐसे में कर्मचारियों के वेतन में आर्थिक शेयर लेकर हिमकेयर की तर्ज़ पर कार्ड बनाने चाहिए ताकि पीड़ित व्यक्ति का इलाज तत्काल करवाया जा सके और उसके इलाज का सारा भुगतान मेडिकल फंड से स्वयं प्रदेश सरकार करे ।