लाेगाें की आस्था का प्रतीक जाहरवीर गुगा

चमेल सिंह देसाईक। शिलाई

प्राकृतिक नियमानुसार सभी देवी, देवता चार माह के लिए चीर निंद्रा में पाताल लोक है। इस दौरान पृथ्वी की रक्षा का भार जाहरवीर गुगा पर आ जाता है आस्था की मान्यता को लेकर रक्षाबंधन के दिन जाहरवीर गोगा अपने गोगा मेडी से पृथ्वी की रक्षा करते हुए परिक्रमा के लिए बाहर निकले हैं। उपमंडल के शिलाई स्थित 52 गांव की आस्था के प्रतीक जाहरवीर गोगा पूरे क्षेत्र की परिक्रमा के लिए निकल पड़े हैं, जो 7 दिनों में 52 गांव की परिक्रमा कर आठवें दिन गोगामेडी शिलाई वापस पहुंचेगे, जिसके बाद शिलाई में गूगाल पर्व का आयोजन नवमी मे करवाया जाएगा।

रक्षा बंधन की सुबह शिलाई गांव सहित आसपास की सभी युवतियां साझा आगन में पहुंची, जहां सभी ने गोगा जाहरपीर को राखी बांधी, परंपरानुसार देवपूजा की गई तथा उसके बाद आशीर्वाद देने के लिए देवता परिक्रमा के लिए निकले हैं। इस वर्ष पूरा विश्व वैश्विक कोरोना महामारी से गुजर रहा है। इसलिए परिक्रमा के दौरान देवता के साथ चल रहे भग्तों, श्रद्धालुओं को प्रशासनिक हिदायते रहेगी कि सभी लाेेग मास्क पहने, सोशल डिस्टेन्स का पुरा ध्यान रखे। इस दौरान निर्धारित लौग ही देवता के साथ रहेंगे, जिनका पुरा ब्याैरा प्रशासन के पास रहेगा।

जाहरवीर गोगा की छड़ी के साथ, हाथ में डमरू लिए, कांधे पर देवता की चाबुक सजाए, जाहरवीर गोगा की शंखनाद के साथ भग्तो का संपूर्ण माहौल भक्तिमय हो गया। देवता का पहला रात्री पड़ाव बेला गांव में रहेगा, इसी तरह 7 दिनों में 52 गांव की परिक्रमा पुर्ण होगी। गोगा जाहरवीर समिति शिलाई अध्यक्ष रघुवीर तोमर, महासचिव तपेंद्र नेगी ने जानकारी देते हुए बताया की 7 दिनों तक देव करिंदे सामाजिक दायरे में रहते हुए 52 गांव क्षेत्र की परिक्रमा में भाग लेंगे।

सभी 52 गांव के लोगों को देव प्रसाद वितरण करने के साथ-साथ वैश्विक महामारी कोरोना के बचाव बारे लोगों को जागरूक किया जाएगा। सामाजिक दायरे का पालन करने का आग्रह करेंगे और साथ ही बताया जाएगा कि पर्व अपने घर में ही मनाएं तथा आठवें दिन गोगामेडी न पहुंचेंगे, गोगापीर को चढ़ाने वाली कढ़ाई व रोट का प्रसाद देवता को अपने घर से ही चढाएं।