1905 में कांगड़ा में आए विनाशकारी भूकंप के शहीदों अर्पित की श्रद्धांजलि

अंकित वालिया। कांगड़ा

जिला कांगड़ा में 4 अप्रैल 1905 में आए विनाशकारी भूकंप में शहीद हुए हजारों व्यक्तियों को श्रद्धांजलि देने के लिए आज पुराने कांगड़ा मार्ग पर स्थित मिशन की ओर जाने वाली सड़क पर बने समारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस दौरान 1 मिनट का मौन रखा गया व स्मारक पर मोमबत्ती जलाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई।

4 अप्रैल 1905 में आए इस विनाशकारी भूकंप में कई इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गई थी। जिससे लाखों की जान माल की हानि हुई। जिला कांगड़ा भूकंप की दृष्टि से जोन-5 में आता है जोकि अत्यंत विनाशकारी जोन है।

एडीएम रोहित राठौर ने आज कांगड़ा घाटी के इतिहास में सबसे विनाशकारी और भयानक भूकंप में 20,000 से अधिक लोगों की जान जाने के 117 साल के बाद भूकंप स्मृति दिवस पर पुराना कांगड़ा रोड़ स्थित भूकंप स्मारक पर स्मरणोत्सव में भाग लेते हुए मालार्पण किया।

भूकंप स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद, रोहित राठौर ने कहा कि ‘‘एतिहासिक घटनाओं को याद रखना महत्वपूर्ण है क्योंकि एक स्मृति आपदा प्रबंधन का मित्र है’’। उन्होंने स्थानीय नगर पालिका, गैर सरकारी संगठनों, स्वयंसेवकों और रेडक्रॉस टीम को उन लोगों को लगातार याद करने के लिए बधाई दी जो भूकंप के दौरान मारे गये थे।

उन्होंने बताया कि भूकंप 4 अप्रैल, 1905 को भारत में तत्कालीन पंजाब प्रांत (आधुनिक हिमाचल प्रदेश) के कांगड़ा घाटी और कांगड़ा क्षेत्र में स्थानीय समयानुसार लगभग 01 बजे सुबह के आसपास आया था। भूकंप की तीव्रता 7.8 मापी गई थी। भूकंप की तीव्रता के कारण भूकंप से एक लाख से अधिक इमारतें ध्वस्त हो गई थीं। कम से कम 20 हजार लोगों के मारे जाने का अनुमान था और 53 हजार घरेलू जानवर भी खो गये थे। इसके अलावा, कांगड़ा, मैकलोडगंज और धर्मशाला शहरों में अधिकांश इमारतें नष्ट हो गई थीं।

उन्होंने बताया कि 117 वर्षों में, भूकंप ने किसी भी अन्य प्राकृतिक खतरे की तुलना में अधिक लोगों की जान ली है। भूकंप में होने वाली प्रमुख आपदाओं से लगभग 18 लाख मौतें हुई हैं। पिछले 100 वर्षों के कुछ सबसे घातक भूकंप तुर्की, ताइवान, इंडोनेशिया, भारत, ईरान, चीन, हैती और नेपाल में पिछले बीस वर्षों में आए हैं, जिनमें कुल मिलाकर पांच लाख लोगों की मौत, कई घायल और लाखों का जीवन बाधित हुआ है।

उन्होंने बताया कि कम समय में ये विनाशकारी घटनाएं जनसंख्या बढ़ोतरी और शहरीकरण से प्रेरित 21वीं सदी में जोखिम और जोखिम के बारे में एक मजबूत संदेश देती हैं। जोखिम को कम करने के लिए उचित भूमि उपयोग और भवन कोड महत्वपूर्ण हैं।

एडीएम ने टीम के सदस्यों और डीडीएमए, रेडक्रॉस, कांगड़ा नगर समिति के स्वयंसेवकों और एजुकेयर के एनजीओ स्वयंसेवकों से भी मुलाकात की। उन्होंने भूकंप प्रतिरोधी भवन संरचनाओं के निर्माण के लिए राजमिस्त्री के प्रशिक्षण के लिए डीडीएम टीम की सराहना की। उन्होंने आपदा प्रतिक्रिया तैयारियों के लिए युवा स्वयंसेवकों के एक कार्यबल को जुटाने और प्रशिक्षित करने के लिए रेडक्रॉस स्वयंसेवी टीम को संबोधित किया और उसकी सराहना की। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि हिमाचल प्रदेश के हिमालयी क्षेत्र में निकट भविष्य में बड़े भूकंप आने की संभावना है, जो कि बड़े विनाश का कारण बन सकता है और दो लाख से अधिक लोगों की मौत हो सकती है यदि हम जोखिम में कमी और आपातकालीन प्रतिक्रिया पर कड़ी मेहनत नहीं करते हैं।

इस दौरान एडीएम ने दो प्रशिक्षित रेडक्रॉस स्वयंसेवकों की सहायता की। ढलियारा की स्वर्णा देवी, सीपीआर देकर एक बच्चे की जान बचाने के लिए और सुनील कुमार को एक परिवार को बचाने के लिए जो बोह घाटी में अचानक आई बाढ़ के दौरान इमारत के भारी मलबे मे दब गये थे। उन्होंने आपदा प्रबंधन के समर्थन में रेडक्रॉस के जनादेश और भूमिका पर प्रकाश डाला।

इस मौके पर कांगड़ा के एसडीएम अरुण कुमार शर्मा, एडीएम रोहित राठौर, तहसीलदार परवीन कुमार, नरेंद्र त्रेहन, समाजसेवी सतीश चौधरी, मुकेश कुमार, वरुण कौंडल, डीडीएमए समन्वयक भानू शर्मा, जिला रेडक्रॉस सोसायटी के सचिव ओपी शर्मा, रेड क्रॉस सोसायटी की महिलाएं, वार्ड नंबर.8 पार्षद अशोक कुमार शर्मा, वार्ड नंबर1 पार्षद प्रेम सागर, गौरव आदि सदस्य मौजूद रहे।