आप भी मोबाइल पर स्टडी कर रहे हैं तो जान लिजिए ये इफेक्ट, बच्चों पर पड. रहा असर

एस के शर्मा । हमीरपुर
कोरोनाकाल के दौरान पिछले एक वर्ष से ऑनलाइन क्लासिज लगा रहे बच्चे अब डिप्रेशन, वज़न का बढ़ना, आंखों में जलन और अन्य दिक्कतों को लेकर अपने मां बाप के साथ अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। बड़सर अस्पताल में पिछले कुछ दिनों से लगातार ओवरवेट बच्चे अपने अभिभावाकों के साथ पहुंच रहे हैं जिनके सभी टेस्ट करने के बाद चिकित्सकों द्वारा काउंसलिंग भी की जा रही है।  बताते चलें कि कोरोना संक्रमण के चलते पिछले एक वर्ष से छोटे स्कूली बच्चों की क्लासेज बिल्कुल नहीं लग सकी हैं जबकि बड़ी क्लास के बच्चे भी ज्यादातर पढ़ाई ऑनलाइन ही कर पाए। लगातार कई घंटों तक  छोटी मोबाइल स्क्रीन्स पर नजरें गढ़ाए रखने से बच्चों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ने लगा है।
घरों से बाहर निकलना व खेल के मैदान तक पहुंचना तो बच्चे भूल ही चुके हैं। आजकल बच्चों का साथी मोबाइल हो चुका है। दिनभर क्लास लगाने के बाद बच्चे फिर से मोबाइल पर गेम्स खेलने में व्यस्त हो जाते हैं। रात को देर तक जागना व सुबह देर से उठना टाइम से खाना न खाना समस्या को ओर भी बढ़ा रहा है।  आउट डोर एकटाविटी न होने के कारण बच्चों का वजन तो बढ़ ही रहा है दूसरी तरफ आंखों की समस्या,स्ट्रेस, नींद न आना व अन्य समस्याएं भी सामने आ रही हैं। सिविल अस्पताल बड़सर में बच्चों के वजन बढ़ने के कई मामले सामने आ चुके हैं जबकि विशेषज्ञों के मुताबिक आने वाले दो से तीन सालों में मोबाइल से चिपके रहने के ओर भी दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं। विशेषज्ञों नें सचेत किया है कि अपने बच्चों पर नजर रखें और उन्हें केवल पढ़ाई के लिए ही मोबाइल दें तथा कोई खेल खेलने के लिए प्रेरित करें।
चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ राकेश के अनुसार बच्चों का हर वक्त मोबाइल से चिपके रहना बहुत ही घातक साबित होने वाला है। अभी तो बच्चे वजन बढ़ने की समस्या को लेकर ही पहुंच रहे  हैं लेकिन आने वाले समय में स्ट्रेस,नजर व अन्य समस्याएं सामने आने वाली हैं।

वहीं बीएमओ बड़सर डॉ नरेश शर्मा का कहना है कि बच्चों  का पढ़ना भी जरूरी है लेकिन फिजिकल एकटीविटी बहुत ही जरूरी है। अगर अभिभावक व बच्चे नहीं सम्भले तो भविष्य में बहुत ही दुष्परिणाम सामने आएंगे।