कोरोन इफेक्ट: मंडियों में नहीं मिल रहे सब्जियों के दाम, लाहुल-स्पीति के किसानों की मेहनत पर पानी

प्रेम डोगरा। कुल्लू

कोरोना संकट में जहां एक ओर सम्पूर्ण मानव जाति अपने अपने जीवन बचाने की जददोजहद में लगा है वहीं जीवन जीने की भी कोशिश की जा रही है। लाहौल-स्पीति जिला भी कोरोना संकट से अछूता नही रहा हैं। आए दिन कोरोना संक्रमितों का मामला लगातार बढ रहा है। वहीं दूसरी ओर घाटी का अन्न दाता भी जीवन यापन की कशमशक में डूबा है। साल में मात्र एक फसल होने के कारण घाटी के किसान खेतीबाडी में अपना खूब पसीना बहा रहें है। दिन रात मेहनत कर रहें है, लेकिन उन्हें यह पता नही है कि आने वाले सीजन में उन्हें अपने फसल का उचित दाम मिलेगा भी या नही।

जिस प्रकार से इन दिनों सब्जी मंडियों की दशा चल रही है उससे अन्नदाता के माथे पर चिंता की लकीर साफ देखी जा रही है। हालांकि कोरोना के पहली लहर में घाटी के किसानों को अपने मेहनत का सही दाम मिला था। इसी उम्मीद के साथ घाटी के किसान इन दिनों भी अपने खेतों में खूब पसीना बहा रहें है और मटर, आलू, गोभी जैसे नकदी फसलों की बीजाई कर रहें है। इसी बीच उन्हें भी कई तरह के दिक्कतों का सामना करना पड रहा है। आमतौर पर इन दिनों घाटी के किसान बीजाई के कार्य से मुक्त हो जाते थे लेकिन कोरोना काल के चलते मजदूरों की समस्या के साथ-साथ खेतीबाडी के लिए प्रयोग में आने वाले चीजों की समय पर नही मिलने की दिक्कत भी सामने आ रही है। बहालहाल अन्नदाता किसी तरह अपने जरूरतों को पूरा कर रहा है और धूल मिटटी के बीच अपने साथ साथ समाज का भी अन्न के जरूरतों को भी पूरा करने की जददोजहद में जुटा है।