जानिए भारतीय शेयर बाजार के बारे में क्या कहते हैं एक्सपर्ट

उज्जवल हिमाचल। नई दिल्ली

बाजार जिस तेजी के लिए तैयार है, वह लगभग पहले ही आ चुकी है। कॉरपोरेट कंपनियां की कमाई वैसी रहने की उम्मीद कम है, जैसी बाजार को गति देने के लिए चाहिए। फिर, कोरोना संकट के इस दौर में भ्रमित करने वाली खबरें कुछ ज्यादा ही आ रही हैं। ऐसे में निवेशकों के लिए यह निर्धारित करना थोड़ा कठिन हो गया है कि वे कौन सी राह पकड़ें। हम सब शेयर बाजार में तेजी के लिए तैयार हैं, लेकिन इसको लेकर दो समस्याएं हैं। पहली समस्या, शेयर बाजार में हम जिस तेजी की उम्मीद हम कर रहे हैं, वह पहले ही आ चुकी है। दूसरी समस्या, कॉरपोरेट अर्निंग या कंपनियों की कमाई को लेकर है।

शेयर बाजार में तेजी के लिए जिस तरह की कॉरपोरेट अर्निंग चाहिए, वैसी फिलहाल जमीन पर नहीं दिख रही है। अगर आप बाजार के पहले के अनुभव पर गौर करें, तो पाएंगे कि बाजार में गिरावट के बाद तेजी का दौर उस समय आया, जब ऐसा होने की उम्मीद लगभग नहीं के बराबर थी। यह चाहे 2002-03 का दौर हो, 2007 का हो या 2013 का। मनुष्य का दिमाग सहज रूप से एक सीधी रेखा में चल रही चीजों को स्वीकार कर लेता है। हालांकि, इसके लिए यह स्पष्ट होना चाहिए कि हो क्या रहा है। मौजूदा हालात में जब महामारी का दौर चल रहा है। बहुत सारे भ्रमित करने वाले संकेत आ रहे और चौंकाने वाली घटनाएं हो रही हैं। ऐसे समय में बाजार में तेजी तो छोडि़ए, बाजार की दिशा का सही अनुमान लगाना ही बहुत मुश्किल हो गया है।

इसमें कुछ मुश्किल सुधार भी हैं। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में निजीकरण की बात की है। इसके बाद प्रधानमंत्री ने उद्यमिता और कारोबार को देश की संपन्नता के लिए बेहद अहम बताया है। कोरोना वायरस से पहले के दौर में कॉरपोरेट टैक्स और दूसरे सुधार किए गए हैं। अकसर इनको समय के साथ भुला दिया जाता है। लेकिन ये सुधार भी उतने ही अहम हैं। इनसे पता चलता है कि हम किस रास्ते पर आगे बढ़ेंगे। वहीं, जमीनी स्तर पर चीजें ज्यादा जटिल हैं। पिछले कुछ माह में हमने मजबूत स्टॉक कीमतों को देखा है। इस लिहाज से इन महीनों को असाधारण कहा जा सकता है।

कारोना की वजह से अर्थव्यवस्था में जो गिरावट आई थी, वह तेजी से गायब हो रही है। अर्थव्यवस्था में लंबे समय की मंदी को लेकर डर हद तक खत्म हो चुका है। ज्यादातर कंपनियों ने मजबूती के साथ वापसी की है। हालांकि, पिछले कुछ समय के दौरान बाजार में आई तेजी चौंकाने वाली है। माना रहा है कि बाजार की तेजी को लिक्विडिटी बढ़ावा दे रही है। हालांकि, मुझे यह बात थोड़ी सतही लग रही है। यह सही है कि रकम का मुक्त प्रवाह एक भूमिका अदा करता है, लेकिन लंबी अवधि में ऐसा जारी रहना मुश्किल है।

व्यावहारिक सोच रखने वाली कंपनियों और निवेशकों के लिए लिक्विडिटी से जुड़ी बहस का कोई मतलब नहीं है। उनके लिए इसका भी कोई मतलब नहीं है कि बाजार ऊपर जा रहा है। बहुत सी कंपनियों को महामारी और सुधारों की वजह से फायदा होने जा रहा है और कुछ कंपनियों को नुकसान होगा। आपके लिए यह समझना अहम है कि हो क्या रहा है। आपके लिए बेहतर है कि इसकी पूरी थाह लेने के बाद ही अगला कदम उठाएं।