हिमाचल में शिक्षकाें का अपमान करना सरासर निंदनीय : लखनपाल

एसके शर्मा। हमीरपुर

बड़सर विस क्षेत्र के विधायक इंद्रदत लखनपाल ने प्रदेश सरकार के मंत्री द्वारा शिक्षकों के प्रति दिए व्यान की कड़ी निंदा की है। विधायक इंद्रदत लखनपाल शिक्षकों के पक्ष में मैदान में उतरें हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षक देश का भविष्य तय करते हैं। शिक्षकों का अपमान करना सरासर निंदनीय है। उन्होंने कहा कि रविवार को कूल्लू जिला में एक वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें राज्य सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री कह रहे हैं कि सरकारी अध्यापकों ने कोरोना काल में मजे किए, काम केवल जल शक्ति विभाग ने किया।

जल शक्ति विभाग ने काम किया वो ठीक है, लेकिन शिक्षकों के योगदान को इस प्रकार दोयम दर्जे का समझना एक भारी गलती है। उन्होंने कहा कि 10वीं और 12वीं के नतीजे किसने प्रेषित किए, ये वही लोग हैं, जो कोरोना की पीक पर राज्य और जिला की सीमाओं पर पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिला कर डटे हुए थे। सारे रिकॉर्ड कीपिंग के काम कर रहे थे। सरकार ने जब जिला परिषद के चुनाव करवाए, तो उसमें भी इन्होंने डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन के साथ मिल के दिन रात काम किया। ये हमारे गुरु हैं और गुरु को देवता की उपाधि दी जाती है, उनका मज़ाक नहीं उड़ाया जाता। उन्होंने कहा कि मंत्री जितनी जल्दी ये समझेंगे, उतना अच्छा होगा।

बड़सर विधायक इंद्रदत लखनपाल ने कहा कि हम लोग पहले भी भारतीय जनता पार्टी के जनमंच को झंडमंच कहते रहे हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों के अफसरों को बुला कर उन्हें जनता के समक्ष प्रताड़ित करना इस मंच की खासियत रही है। मैं व्यक्तिगत तौर पर इस व्यवस्था से बिलकुल सहमत नहीं हूँ। उन्होंने कहा कि मैं हर रोज बहुत विधानसभा वासिओं की समस्याएं सुनता हूँ। कोशिश यही रहती है कि समस्याओं का निवारण तुरंत हो जाए, ताकी लोगों को रोज़ चक्कर न लगाने पड़े। इनमें से कई समस्याएं विभागीय भी होती हैं। बहुत विभागों के बहुत अफसरों से सवाल करने पड़ते हैं, मगर उनका पक्ष सुनना भी उतना ही जरूरी होता है।

कई बार लोकल लोग ही काम रुकवाते हैं, कई बार सरकार की ओर से पर्याप्त फंड नहीं जारी किया जाता। कई बार स्टाफ का अभाव रहता है, तो कई बार ऊपर से दबाव भी होता है। ये लोग बहुत मेहनत से सरकारी नौकरी पाते हैं। उन्होंने कहा कि मैं जिन भी अधिकारियाें से मिलता हूं, उनमें से अधिकतर काम भी करना चाहते हैं, मगर मजबुरियां रहती हैं। मैं ये नहीं कह रहा के सब अधिकारी ठीक हैं और इनसे सख्ती हो ही न, लेकिन पक्ष सुना जाना चाहिए, जांच की जानी चाहिए और उसके बाद जो जरूरी हो वो कार्यवाही भी की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि 500 लोगों की भीड़ में शिकायत मिलने पर किसी को सुना देना, उसके ऊपर चिल्लाना और नौकरी से निकालने की धमकी देना सरासर गलत और निंदनीय है। उन्होंने कहा कि इसके लिए मंत्री को शिक्षकों से माफी मांगनी चाहिए।