पीएम माेदी ने काशी विश्वनाथ मंदिर के कर्मचारियों काे भेजे स्पेशल जूते

उज्जवल हिमाचल। वाराणसी

काशी विश्वनाथ मंदिर के कर्मचारियों के लिए तोहफा है जूट से बना जूता। मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल के अनुसार यह पीएमओ कार्यालय की ओर से ये जूते भेजे गए हैं। अभी जूट के बने 100 जूते कर्मचारियों के बीच बांटे गए हैं। कुछ दिनों में पुजारी, सीआरपीएफ जवान, पुलिसकर्मी, सेवादार और सफाई कर्मियों को दिए जाएंगे। मंदिर कर्मचारियों को अब नंगे पांव फर्श पर नहीं चलना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ धाम मंदिर में तैनात सुरक्षाकर्मियों और सफाईकर्मियों को खास सौगात दी है। अब ये सभी जूट का जूता पहनकर मंदिर में अपनी ड्यूटी कर सकेंगे।

मंदिर परिसर में चमड़े या रबर से निर्मित जूता-चप्पल के साथ प्रवेश प्रतिबंधित है, लिहाजा उन्हें नंगे पांव ही पूरी ड्यूटी करनी पड़ती थी। कुछ कर्मचारी खड़ाऊं पहनकर काम करते थे, मगर इसे पहनना हर किसी के बस की बात नहीं है। इस परेशानी को देखते हुए पीएम मोदी ने कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों के लिए एनवायरसमेंट फ्रेंडली जूट का जूता भिजवाया है। बता दें कि कड़कड़ाती सर्दी में मंदिर परिसर के कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी नंगे पांव ड्यूटी करते हैं। 8 घंटे ड्यूटी के दौरान उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संज्ञान में आते ही उन्होंने जूट के जूते भिजवाए। काशी विश्वनाथ मंदिर के सुरक्षाकर्मियों को भी मिलेगी राहत।

कोरोना के दृष्टिगत मंदिर परिसर में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए गर्भगृह में प्रवेश पर मंदिर प्रशासन की ओर से रोक लगा दी गई है। साथ ही नए नियम लागू कर दिए गए हैं। मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने बताया कि दूसरे अन्य शहरों से रोजाना बाबा के दर्शन व पूजन को बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं। ऐसे में कोरोना गाइडलाइन का पालन और सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे, इस लिहाज से यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि अब भक्त बाबा के गर्भगृह में प्रवेश नहीं कर पाएंगे।

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बाहर से ही उन्हें बाबा का झांकी दर्शन कराया जाएगा और जल्द ही जलाभिषेक के लिए गर्भगृह के पास विशेष पात्र लगाए जाएंगे। ऐसे में भक्त बाबा का जलाभिषेक व दुग्ध अभिषेक कर सकेंगे। बता दें कि विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद धाम में सामान्य दिनों से 5 से 8 गुना ज्यादा संख्या में भक्त दर्शन करने के लिए पहुंच रहे थे और लगातार यह भीड़ बढ़ती जा रही थी, लेकिन कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए मंदिर शासन ने भक्तों के मंदिर के गर्भगृह में एंट्री पर बैन लगाने का निर्णय लिया है।